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कहानी एक ऐसे ज्योतिर्लिंग की जहां 24 कुओं के पवित्र जल से दूर होते हैं सारे पाप, जानें क्या है पूरी कथा

रामनाथपुरम। रामेश्वरम, तमिलनाडु राज्य में स्थित एक पवित्र शहर है, जो हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा एक द्वीप पर स्थित है और इसे " चार धाम " में से एक माना जाता है। इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। रामेश्वरम, भगवान राम से जुड़े होने के कारण भी प्रसिद्ध है, जिन्होंने लंका पर चढ़ाई करने से पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी।
रामेश्वरम मंदिर
रामेश्वरम मंदिर को हिंदुओं के पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के चारों ओर से घिरा हुआ है। रामेश्वरम मंदिर जाने के लिए कंक्रीट के 145 खंभों पर टिका सौ साल पुराने पुल से ट्रेन के द्वारा जाया जाता है। रामेश्वरम मंदिर ज्योतिर्लिंग होने के साथ-साथ द्रविड़ शैली और अपनी शिल्प कला के कारण विश्व प्रसिद्ध है।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की कथा
तमिलनाडु में समुद्र तट पर स्थित इस मंदिर को रामायणकालीन माना जाता है। लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद, भगवान राम ने ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए, ऋषियों के कहने पर, रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी। मान्यता है कि भगवान राम ने हनुमान जी को कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने के लिए भेजा था, लेकिन जब तक हनुमान जी शिवलिंग लेकर आते, तब तक माता सीता ने स्वयं बालू से एक शिवलिंग बना दिया था। इस शिवलिंग को रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। इसके बाद हनुमान जी जिस शिवलिंग को लेकर आए उसे भी वहीं स्थापित किया गया है, जिसे हनुमदीश्वर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर की बनावट है बेहद आकर्षक
बता दें कि रामेश्वरम मंदिर की बनावट बेहद आकर्षक है, जिसे देखने वाला देखता ही रह जाता है। पूरा मंदिर तकरीबन 15 एकड़ के क्षेत्र में स्थित है, जिसके चारों ओर पत्थर की मजबूत दीवारें हैं। इस मंदिर का मंदिर का प्रवेश द्धार 40 मीटर ऊंचा है। यह मंदिर अपने गलियारे के लिए भी जाना जाता है। बेहद खूबसूरत गलियारे में 108 शिवलिंग और गणपति के दर्शन होते हैं। गलियारे की नक्काशी देखते ही बनती है।
24 कुओं के पवित्र जल से दूर होते हैं सारे पाप
रामेश्वरम मंदिर के भीतर 24 कुएं हैं। लोग इन कुओं को पावन तीर्थ के समान पूजते और इसके जल से स्नन करते हैं। मान्यता है कि इन पवित्र कुओं के पानी से नहाने मात्र से ही लोगों के सारे पाप कट जाते हैं। इन कुओं के बारे में मान्यता है कि इन्हें भगवान श्री राम ने अपनी बाण से बनाया था।