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ट्रंप की जेंडर नीति पर लगी सुप्रीम कोर्ट की मुहर! अब पासपोर्ट पर होंगे सिर्फ मेल और फीमेल ऑप्शन

Aryan
7 Nov 2025 12:15 PM IST
ट्रंप की जेंडर नीति पर लगी सुप्रीम कोर्ट की मुहर! अब पासपोर्ट पर होंगे सिर्फ मेल और फीमेल ऑप्शन
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तीन लिबरल जजों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है।

नई दिल्ली। अमेरिका में थर्ड जेंडर के मामले में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। अब अमेरिकी पासपोर्ट पर थर्ड जेंडर का ऑप्शन नहीं दिया जाएगा। बता दें कि पासपोर्ट पर सिर्फ मेल और फीमेल का ही ऑप्शन रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब अमेरिकी पासपोर्ट पर दी गई जानकारी से ही लोग लिंग की पहचान करेंगे, जो कि उक्त व्यक्ति के जन्म के समय दर्ज हुआ था। हालांकि, तीन लिबरल जजों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है।

ट्रंप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट पर जन्म के वक्त लिंग दिखाना किसी भी तरह से समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। यह देश के जन्म स्थान को साबित करने का साधन है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के समय जनवरी में विदेशी विभाग को पासपोर्ट नियमों में बदलाव का आदेश दिया था। राष्ट्रपति के मुताबिक अमेरिका के जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर केवल दो जेंडर को ही मान्यता होगी। बता दें कि पहले अमेरिकी न्याय विभाग के आदेश को निचली अदालत ने ख्तम करने का आदेश दिया था। उसके बाद ट्रंप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में की ओर रूख किया था।

1990 में मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर लिंग चुनने का दिया था अधिकार

1970 में अमेरिका में पासपोर्ट पर लिंग दिखाने की शुरुआत हुई थी। उसके बाद 1990 में मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर लिंग बदलने की अनुमति दी थी। 2021 में बदलाव करते हुए पूर्व बाइडेन सरकार ने बिना किसी मेडिकल सर्टिफिकेट के अपना जेंडर चुनने का अधिकार दिया था। इससे पहले अमेरिकी सेना भर्ती में थर्ड जेंडर को लेकर कुछ बदलाव किए गए। इसके अंतर्गत थर्ड जेंडर के लोग अमेरिकी सेना में शामिल नहीं हो सकेंगे।

ट्रांसजेंडर को सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं

दरअसल अमेरिकी सेना अब ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं देगा और सेवा सदस्यों के लिए जेंडर बदलने से संबंधित प्रक्रियाओं में दी जाने वाली सुविधा बंद कर दी जाएगी। तत्काल प्रभाव से जेंडर डिस्फोरिया के इतिहास वाले व्यक्तियों के लिए प्रवेश रोक दिए गए हैं। बता दें कि यह जानकारी सोशल मीडिया पर दी है कि सेवा सदस्यों के लिए जेंडर परिवर्तन की सुविधा से जुड़ी मेडिकल प्रक्रियाओं पर भी रोक लगा दी गई है। जेंडर डिस्फोरिया पीड़ितों ने हमारे देश की सेवा के लिए स्वेच्छा से काम किया है। उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाएगा। गौरतलब है कि जेंडर डिस्फोरिया एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है। इसमें इंसान को बायोलॉजिकल जेंडर और जेंडर की पहचान में समानता न होने पर परेशानी होती है।


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