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Passport के लिए पति के हस्ताक्षर की कोई आवश्यकता नहीं, हाईकोर्ट ने कहा- 'यह महिला की स्वतंत्रता का हनन'

चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने पासपोर्ट आवेदन मामले में टिप्पणी करते बुए कहा कि महिला को पति की अनुमति या हस्ताक्षर की जरूरत नहीं है। अदालत ने इसे "पुरुष वर्चस्व की मानसिकता" करार देते हुए महिला को उसका पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की एकल पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की। जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने अप्रैल में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन चेन्नई क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (RPO) ने यह कहते हुए उनका आवेदन रोक दिया कि उन्हें Form-J में अपने पति के हस्ताक्षर लाने होंगे।
क्या है पूरा मामला
रेवती की शादी 2023 में हुई थी। पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद के चलते तलाक का मामला स्थानीय अदालत में लंबित है। इस बीच रेवती ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। चेन्नई क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने रेवती की अर्जी को आगे बढ़ाने से इसलिए इंकार कर दिया था क्योंकि उस आवेदन पर रेवती के पति के हस्ताक्षर नहीं थे। इसके बाद रेवती ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। मद्रास हाईकोर्ट ने पासपोर्ट कार्यालय को निर्देश दिया कि अन्य औपचारिकताओं की पूर्ति के आधार पर याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर पासपोर्ट जारी किया जाए।
क्या बोला कोर्ट
आपको बता दें कि न्यायाधीश ने आदेश में कहा, "पासपोर्ट के लिए आवेदन करने हेतु पति से अनुमति लेने पर जोर देने की प्रथा उस समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है जो महिला मुक्ति की ओर बढ़ रहा है।" यह प्रथा पुरुष वर्चस्ववाद से कम नहीं है। न्यायाधीश ने आरपीओ को याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर कार्रवाई करने तथा अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने पर उसके नाम से पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया।