Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

गोवर्धन पूजा के दिन नंदलाल को ऐसे मनाएं, जानें कब है शुभ मुहूर्त...

Aryan
21 Oct 2025 8:00 AM IST
गोवर्धन पूजा के दिन नंदलाल को ऐसे मनाएं, जानें कब है शुभ मुहूर्त...
x

हिंदु धर्म में बहुत से त्‍योहार होते हैं, लेकिन कुछ पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। जिन्‍हें देश भर में सभी लोग एक साथ मनाते हैं। गोवर्धन पूजा का पर्व भी ऐसा ही होता है। यह पर्व दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है।

22 अक्‍टूबर को मनाई जाएगी गोवर्धन पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22 अक्‍टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन हर घर में अन्‍नकूट बनाया जाता है। भगवान श्री कृष्‍ण को प्रसाद के रूप में इसे अर्पित किया जाता है। वैसे देशभर में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। लेकिन ब्रज भूमि क्षेत्रों जैसे- वृंदावन, भरतपुर, गोकुल, नंद गांव, मथुरा, बरसाना आदि स्‍थानों में इस त्योहार पर भव्य आयोजन होता है। इस दिन यहां के लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी लगाते हैं।

गोवर्धन पूजा उदया तिथि में होती है

गोवर्धन पूजा का त्‍योहार हमेशा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस बार अमावस्‍या की तिथि लंबी हो रही है। इसलिए पर्व की उदया तिथि 22 अक्‍टूबर को है। चंद्रमा के उदय से पूर्व यह पर्व 21 को भी मनाया जा सकता है, मगर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 22 अक्‍टूबर का ही आ रहा है। दरअसल, इस पर्व को चंद्रमा के उदय से पहले ही मनाना चाहिए।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

22 अक्‍टूबर को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से शुरु होकर सुबह 8 बजकर 40 मिनट तक आप पूजा कर सकती हैं। वहीं शाम को 3 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 45 मिनट तक इस पूजा को करने का शुभ मुहूर्त रहेगा।

गोवर्धन रूप में होती है कृष्‍ण जी की पूजा

इस दिन गोबर से श्री कृष्‍ण के गोवर्धन स्‍वरूप को बनाया जाता है और फूलों से सजा कर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग भगवान विश्‍वकर्मा की भी पूजा करते हैं। कई लोग अपने काम के स्थान पर औजारों और अन्‍य चीजों की पूजा करते हैं।

गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें

इस दिन घर के आंगन या मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनानी चाहिए। उसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए। इस दिन 56 भोग या अन्नकूट तैयार करना चाहिए। फिर उसे भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज को चढ़ाना चाहिए। इसमें कढ़ी-चावल, बाजरा, और माखन-मिश्री जरूर शामिल करना चाहिए।


Next Story