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शीतकालीन सत्र शुरू होने से राज्यसभा में पहले सांसदों के लिए यह नियम किया गया लागू, विपक्ष ने जताया विरोध, बीजेपी ने दिया यह तर्क

Shilpi Narayan
27 Nov 2025 5:46 PM IST
शीतकालीन सत्र शुरू होने से राज्यसभा में पहले सांसदों के लिए यह नियम किया गया लागू, विपक्ष ने जताया विरोध, बीजेपी ने दिया यह तर्क
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नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है। इससे पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जिसकी वजह है राज्यसभा की ओर से जारी सांसदों के आचरण संबंधी एक बुलेटिन। इस बुलेटिन को लेकर टीएमसी और कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने कड़ी नाराजगी जताई है। बुलेटिन में सांसदों के लिए कुछ नए निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा कई ऐसे व्यवहार से बचने की बात कही गई है, जो संसद की गरिमा या कार्यवाही में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

वेल में आकर किसी भी वस्तु का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं

वहीं सांसदों को थैंक्स, थैंक यू, जय हिंद और वंदे मातरम जैसे शब्दों के इस्तेमाल से परहेज करने की सलाह दी गई है। कहा गया है कि संसद की परंपराएं भाषण के अंत में इस तरह के स्लोगन की इजाजत नहीं देतीं, इसलिए इनसे बचना चाहिए। बुलेटिन का दूसरा बड़ा निर्देश यह है, अगर कोई सांसद किसी मंत्री की आलोचना करता है तो मंत्री की तरफ से दिए जाने वाले जवाब के समय उस सांसद का सदन में मौजूद रहना अनिवार्य होगा। बुलेटिन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सांसद सदन के वेल में आकर किसी भी वस्तु का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं।

राज्यसभा के निर्देशों में कोई नई बात नहीं है

इन निर्देशों के बाद विपक्ष ने राज्यसभा के इस कदम का जोरदार विरोध किया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जय हिंद और वंदे मातरम बोलने से मना करने को बंगाली अस्मिता से जोड़ हमला तेज कर दिया है। वहीं बीजेपी ने इस विवाद पर संयत प्रतिक्रिया दी है। पार्टी का कहना है कि राज्यसभा के निर्देशों में कोई नई बात नहीं है और ये संसदीय परंपराओं के अनुरूप ही हैं।

बीजेपी ने दिया यह तर्क

बीजेपी का तर्क है कि शपथ ग्रहण के समय जय हिंद और वंदे मातरम बोलने की परंपरा तो है लेकिन भाषण समाप्त करते हुए ऐसे उद्घोष करना कई बार कार्यवाही में व्यवधान पैदा कर देता है। इसलिए बुलेटिन में दिए गए निर्देश पूरी तरह उचित हैं। बता दें कि राज्यसभा के बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि सांसद सदन के अंदर या बाहर चेयर के फैसलों की आलोचना न करें।

पहली बार सीपी राधाकृष्णन उच्च सदन की करेंगे अध्यक्षता

उन्हें यह भी याद दिलाया गया है कि वे सदन में कोई सबूत दिखाने से बचें। अगर कोई सदस्य दूसरे सदस्य की आलोचना करता है तो जवाब सुनने के लिए सदन में मौजूद रहना उनकी संसदीय जिम्मेदारी है। जवाब के दौरान गैर-हाजिर रहना पार्लियामेंट्री एटीकेट का उल्लंघन माना जाएगा। इस बार शीतकालीन सत्र में पहली बार उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन उच्च सदन की अध्यक्षता करेंगे।

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