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एमएसएमई की ये योजना फिर हो सकती है शुरू, निर्यातकों को इतने कम ब्याज पर मिलेगा लोन

नई दिल्ली। एमएसएमई निर्यातकों के लिए कर्ज पर सब्सिडी स्कीम ‘ब्याज समीकरण योजना’ (Interest Equalization Scheme) फिर शुरू की करने पर सरकार विचार कर रही है। बता दें कि दिसंबर 2024 में इस स्कीम को बंद कर दिया गया था। अब कहा जा रहा है कि अमेरिका के इंपोर्ट टैरिफ लगाने और ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता को देखते हुए इसे फिर शुरू किया जा सकता है। इससे निर्यातकों को सस्ता लोन मिल सकेगा।
निर्यातक ने की थी ये मांग
दरअसल, निर्यातक सरकार से कई बार इस स्कीम को एक्सटेंड करने की मांग कर चुके हैं। पिछले बजट में जब स्कीम के विस्तार का जिक्र नहीं किया गया तो निर्यातक संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अलग से इसके लिए आग्रह किया। साथ ही इस स्कीम में क्रेडिट लिमिट भी 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने की मांग की थी।
बता दें कि अभी निर्यातकों को बैंकों से 8-12% तक ब्याज पर कर्ज मिलता है। एमएसएमई के लिए ब्याज की दर कई बार इससे भी ज्यादा हो जाती है। भारतीय एमएसएमई को चीन से कंपटीशन करना पड़ता है, जहां उद्यमियों को 2-3% ब्याज पर लोन मिल जाता है।
क्या है ब्याज समीकरण योजना?
साल 2015 में निर्यातकों के लिए ब्याज समीकरण योजना शुरू की गई थी। पहली बार इसकी अवधि पांच साल के लिए यानी 31 मार्च 2020 तक थी। उसके बाद कई बार इसका विस्तार किया गया। आखिरी बार सितंबर 2023 में इसे दिसंबर 2024 तक बढ़ाया गया था। इस स्कीम में एमएसएमई निर्यातकों को 3% ब्याज सब्सिडी मिलती थी। बता दें, निर्यातकों को प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट के लिए रुपये में एक्सपोर्ट क्रेडिट पर सब्सिडी मिलती थी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) और आरबीआई को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस योजना के तहत 10 में से लगभग 8 लाभार्थी एमएसएमई ही थे।