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'निर्दोषों का खून बहाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा...' दोस्त चीन के सामने पाकिस्तान को सुनाते रहें राजनाथ सिंह, नजर झुककर सुनते रहें PAK के रक्षा मंत्री

नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ शहर में हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे। जहां उन्होने कई मुद्दो पर विचार सामने रखें। साख ही इस मंच से उन्होंने पाकिस्तान और चीन को साफ शब्दों में कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। रक्षा मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में हमारी तत्काल प्राथमिकताओं में अफगान लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना और अफगानिस्तान की समग्र विकासात्मक आवश्यकताओं में योगदान देना शामिल है।
पाकिस्तान को सामने से खुली चेतावनी
बता दें कि बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने उनके सामने ही आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तानी नेता को खूब खरी-खोटी सुनाई। राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि निर्दोषों का खून बहाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद का समर्थन करते हैं और सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बना चुके हैं। 22 अप्रैल 2025 को 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' नाम के आतंकी संगठन ने निर्दोष पर्यटकों को मार डाला। जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। उन्होंने कहा कि इस संगठन का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से है, जो पहले से ही संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में है।
शांति-समृद्धि, आतंकवाद एक साथ नहींः राजनाथ
उन्होंने आगे कहा, "असल में, वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार में यही धारणा है कि दोनों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी कहावत है जो 'सर्वे जना सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।" राजनाथ सिंह ने आगे कहा, "मेरा यह भी मानना है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हुई हैं। इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में इजाफा है। शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।" अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कोई भी देश कितना भी बड़ा क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। सभी को मिलकर संवाद और सहयोग से काम करना होगा। यह भारत की प्राचीन सोच 'सर्वे जना सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सबका कल्याण हो
चीन और रूस के साथ हो सकती है द्विपक्षीय बैठक
राजनाथ सिंह की इस यात्रा के दौरान उनके चीनी और रूसी रक्षा मंत्रियों के साथ अलग से द्विपक्षीय बैठक होने की संभावना जताई है। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद यह किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की पहली चीन यात्रा है। वहीं चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून ने व्यक्तिगत रूप से राजनाथ सिंह का स्वागत किया और बैठक से पहले सभी देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ ग्रुप फोटो भी ली गई।
चीन यात्रा पर जाने से पापहले एक्स पर किया था पोस्ट
चीन पहुंचने से पहले राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्त करते हुए कहा था कि वे वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर भारत के दृष्टिकोण को साझा करने और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर कदम उठाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।