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कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए प्रसिद्ध है त्र्यंबकेश्वर: शांति और समृद्धि के लिए होता है यह विशेष अनुष्ठान

Anjali Tyagi
26 Nov 2025 8:00 AM IST
कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए प्रसिद्ध है त्र्यंबकेश्वर: शांति और समृद्धि के लिए होता है यह विशेष अनुष्ठान
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नासिक। नासिक के पास स्थित पवित्र तीर्थस्थल त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजाओं का आयोजन हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस दोष के निवारण हेतु देश भर से श्रद्धालु इस प्राचीन शिव मंदिर में पहुंच रहे हैं।

पूजा का महत्व और प्रक्रिया

मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु (नाग) और केतु के बीच आ जाते हैं, तब कालसर्प दोष बनता है, जिससे जीवन में कई बाधाएँ, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ आती हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर को इस दोष की शांति के लिए सबसे उत्तम स्थान माना जाता है, क्योंकि भगवान शिव स्वयं सभी दोषों के मुक्तिदाता हैं।

पूजा की विधि-विधान

शुद्धिकरण: पूजा का आरंभ गोदावरी नदी के उद्गम स्थल कुशावर्त तीर्थ में स्नान से होता है।

संकल्प: अनुभवी पंडितों द्वारा दोष निवारण हेतु नाम और गोत्र के साथ संकल्प कराया जाता है।

मुख्य पूजन: इसमें भगवान गणेश, नवग्रह और विशेष रूप से नाग-नागिन की प्रतिमाओं (तांबे, चांदी या सोने की) का षोडशोपचार पूजन किया जाता है।

मंत्र जाप: राहु-केतु शांति मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप मुख्य अनुष्ठान का हिस्सा होता है।

विसर्जन और अर्पण: पूजा के अंत में नाग प्रतिमाओं का विसर्जन और ताम्र निर्मित सर्प मूर्ति को ज्योतिर्लिंग पर अर्पण किया जाता है।

पूजा के लिए शुभ दिन

कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए नाग पंचमी, महाशिवरात्रि, अमावस्या और विशेषकर श्रावण मास के सोमवार को अत्यंत शुभ माना जाता है। श्रद्धालु अपनी कुंडली के अनुसार शुभ मुहूर्त में यहाँ यह अनुष्ठान संपन्न कराते हैं। यह अनुष्ठान आमतौर पर 2 से 3 घंटे तक चलता है, जिसे सही विधि-विधान से करने पर भक्तों को जीवन में शांति, समृद्धि और प्रगति प्राप्त होती है। त्र्यंबकेश्वर के अनुभवी पंडित पीढ़ी दर पीढ़ी से इन वैदिक अनुष्ठानों को कुशलतापूर्वक संपन्न करा रहे हैं।

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