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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर, जानें विशेषताएं और दर्शन का समय

महाराष्ट्र के नासिक शहर के पास स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ब्रह्मगिरि, नीलगिरि और कालगिरि नामक तीन पहाड़ियों से घिरा हुआ है और गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी यहीं माना जाता है। मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में पेशवा बालाजी बाजीराव ने काले बेसाल्ट पत्थर से कराया था।
मंदिर की मुख्य विशेषताएं
त्रिमूर्ति ज्योतिर्लिंग: इस मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और शिव-तीनों देवताओं के चेहरे हैं, जो इसे एक अद्वितीय और पवित्र तीर्थस्थल बनाता है।
कालसर्प दोष निवारण: यह मंदिर कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसके लिए भक्त बड़ी संख्या में आते हैं।
पवित्र कुंड: मंदिर के परिसर में कुशावर्त नामक एक पवित्र कुंड है, जिसे गोदावरी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
भगवान शिव का मुकुट: ज्योतिर्लिंग को एक मुकुट से सजाया गया है, जिसमें हीरे, पन्ने और अन्य कीमती पत्थर जड़े हुए हैं। इसे हर सोमवार शाम को एक घंटे के लिए भक्तों के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जाता है।
दर्शन का समय
मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। सामान्य दिनों में दर्शन में लगभग 45-60 मिनट लग सकते हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट को ₹200 का दान देकर, आप विशेष पास प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आप जल्दी दर्शन कर सकते हैं।
यात्रा की जानकारी
यह मंदिर नासिक शहर से लगभग 28 किमी दूर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड है, जो शहर के केंद्र से 39 किमी दूर है। स्टेशन के बाहर से मंदिर के लिए बसें उपलब्ध हैं। नासिक में सिटी और सेंट्रल बस स्टैंड दोनों से त्र्यंबकेश्वर के लिए बसें मिलती हैं। त्र्यंबकेश्वर में कई भक्तनिवास (जैसे शिवप्रसाद भक्तनिवास), होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। आप त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट की वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।




