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Tulsi Vivah 2025: घर पर कैसे करें तुलसी और शालिग्राम का विवाह, जानिए आवश्यक पूजन सामग्री और विवाह विधि

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व माना गया है। यह पर्व हर साल देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इस दिन तुलसी माता और भगवान शालिग्राम (विष्णु स्वरूप) का विवाह बड़ी श्रद्धा और विधि-विधान से संपन्न किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ अवसर पर तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है यह विवाह कार्तिक शुक्ल द्वादशी को संपन्न होता है।
कब है तुलसी विवाह
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और तुलसी माता का पवित्र विवाह संपन्न किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करवाने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति व समृद्धि का आगमन होता है।
आवश्यक पूजन सामग्री
तुलसी विवाह के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- तुलसी का पौधा (गमले को गेरू से सजाया हुआ)
- भगवान शालिग्राम की प्रतिमा या तस्वीर
- मंडप के लिए गन्ने या केले के पत्ते
- वस्त्र (तुलसी जी के लिए लाल चुनरी या साड़ी, शालिग्राम जी के लिए पीला वस्त्र या पटका)
- श्रृंगार सामग्री (चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, महावर, मंगलसूत्र आदि)
- पूजा सामग्री (धूप, दीप, कपूर, रोली, चंदन, कुमकुम, हल्दी, मौली/कलावा, जनेऊ)
- भोग सामग्री (मिठाई, मौसमी फल जैसे मूली, सिंघाड़ा, आंवला, अमरूद, शकरकंद, गन्ना, बताशा, खीर, पंचामृत)
- अन्य सामग्री (जल का लोटा, गंगाजल, पुष्प, फूलों की माला, नारियल, सिक्का (सिंदूर दान के लिए), दक्षिणा, तिल (एकादशी पर चावल वर्जित होते हैं)
विवाह की विधि
मंडप सजाना: घर के आंगन या छत पर तुलसी के गमले के चारों ओर गन्ने के पत्तों से मंडप बनाएं।
स्थापना: एक चौकी पर तुलसी जी के गमले को रखें और उसके दाहिनी ओर भगवान शालिग्राम की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
स्नान और तिलक: दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं। शालिग्राम जी को चंदन से और तुलसी माता को रोली व सिंदूर से तिलक लगाएं।
वस्त्र व श्रृंगार: भगवान को पीले वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें। माता तुलसी को लाल चुनरी और सोलह श्रृंगार की सामग्री (चूड़ियां, बिंदी आदि) पहनाएं।
जयमाला: फूलों की दो मालाएं लें। एक माला भगवान शालिग्राम को और दूसरी माला तुलसी माता को पहनाएं।
कन्यादान का संकल्प: विवाह कराने वाले लोग हाथ में जल, फूल और कुछ रुपए लेकर कन्यादान का संकल्प करें और इसे भगवान शालिग्राम के पास छोड़ दें।
फेरे (परिक्रमा): तुलसी के पौधे और शालिग्राम भगवान को एक साथ रखकर सात बार परिक्रमा करें। यदि शालिग्राम जी की प्रतिमा भारी है, तो आप हाथ में नारियल लेकर सात बार परिक्रमा कर सकते हैं, जिसे फेरे माना जाता है।
सिंदूर दान: एक सिक्के में सिंदूर लेकर शालिग्राम भगवान से स्पर्श कराकर तुलसी माता की मांग में भरें।
भोग और आरती: विभिन्न मौसमी फलों और मिठाइयों का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर भगवान विष्णु और तुलसी माता की आरती करें।
प्रसाद वितरण: अंत में, सभी परिवारजनों और उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें।




