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एक्सिऑम 4 मिशन में लिक्विड ऑक्सीजन लीक को लेकर वरिष्ठ वैज्ञानिक की चेतावनी

भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जल्द ही स्पेसएक्स के फाल्कन 9 क्रू ड्रैगन से एक्सिऑम 4 मिशन के तहत केनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष की ओर रवाना होंगे। 14 दिन की यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक होगी और भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने इस मिशन से जुड़ी तकनीकी चुनौतियों और सुरक्षा को लेकर जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान के निर्माण में हजारों घटकों का समन्वय होता है, खासकर जब लिक्विड प्रोपेलेंट का उपयोग हो रहा हो, तो यह प्रक्रिया बेहद जटिल हो जाती है।
हाल ही में मिशन की लॉन्चिंग में देरी की वजह बनी लिक्विड ऑक्सीजन लाइन में रिसाव की घटना ने इन जोखिमों को और गंभीर बना दिया। प्रोफेसर सूद ने ऐसे रिसाव को "अप्रत्याशित रूप से खतरनाक" बताया और कहा कि जब तापमान अधिक हो, तो छोटी सी गड़बड़ी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब मानव जीवन की सुरक्षा की बात हो, तो कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
यह रिसाव स्पेसएक्स की टीम द्वारा समय पर पहचाना गया और इसे ठीक किया गया। लॉन्च को टालने का निर्णय स्पेसएक्स, इसरो और अन्य साझेदार एजेंसियों द्वारा मिलकर लिया गया। प्रोफेसर सूद ने इस समन्वय को अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक उदाहरण बताया और कहा कि सभी पक्षों ने मिलकर यह निर्णय लिया ताकि मिशन पूरी तरह सुरक्षित हो।
भारत के गगनयान मिशन की दिशा में यह एक अहम कदम माना जा रहा है। शुभांशु शुक्ला की इस अंतरिक्ष यात्रा में भागीदारी भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मिशनों में तकनीकी सटीकता और सुरक्षा नियमों का पालन सबसे जरूरी होता है।
जैसे-जैसे लॉन्च की तारीख नज़दीक आ रही है, सभी प्रणालियों की जांच और सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। प्रोफेसर सूद ने मिशन की सफलता को लेकर विश्वास जताया और कहा कि “सभी मुश्किलों के बावजूद, हमें भरोसा है कि मिशन सफल रहेगा।” उन्होंने यह भी दोहराया कि हर निर्णय और देरी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही ली गई है, क्योंकि “सुरक्षा पहले, सुरक्षा हमेशा” यही मिशन की प्राथमिकता है।