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चुनाव खर्च का हिसाब न देने पर आज़ाद समाज पार्टी सहित 127 दलों को नोटिस

उत्तर प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद चुनावी खर्च का ब्योरा प्रस्तुत न करने पर राज्य निर्वाचन आयोग ने कड़ा कदम उठाया है। आयोग ने आज़ाद समाज पार्टी सहित कुल 127 राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
आयोग की ओर से जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि इन दलों ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों का पालन नहीं किया है। यह अधिनियम राजनीतिक दलों को चुनावी खर्च और वार्षिक ब्योरा समय पर प्रस्तुत करने के लिए बाध्य करता है।
3 साल का ब्योरा नहीं दिया
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, नोटिस पाने वाले दलों ने वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 का वार्षिक ब्योरा पेश नहीं किया। इतना ही नहीं, इन दलों ने 2019 के बाद हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाग लिया, लेकिन अब तक अपने खर्च का विवरण आयोग को नहीं सौंपा।
कानून में क्या है प्रावधान?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक—
विधानसभा चुनाव के बाद 75 दिन के भीतर, और
लोकसभा चुनाव के बाद 90 दिन के भीतर,
हर राजनीतिक दल को अपना चुनावी खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग को जमा करना अनिवार्य है।
इन 127 दलों ने इस प्रावधान का पालन नहीं किया, जिसके चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अब इन दलों को आयोग को बताना होगा कि उन्होंने तय समयसीमा में ब्योरा क्यों नहीं दिया।
क्या हो सकते हैं परिणाम?
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दल संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो आयोग उनके खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है। इसमें मान्यता रद्द करना, चुनाव चिन्ह पर रोक लगाना और अन्य दंडात्मक कार्रवाई शामिल हो सकती है।