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यूपी में घुसपैठियों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, अभियान हुआ तेज; शहरों में सतर्कता बढ़ाई गई

उत्तर प्रदेश में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान तेज हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद राज्य के सभी जिलों में खुफिया एजेंसियां, एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) और अन्य सुरक्षा संगठन सक्रिय हो चुके हैं। नेपाल सीमा से सटे जिलों के साथ ही लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, वाराणसी जैसे बड़े शहरों में सतर्कता बरती जा रही है। जिलाधिकारियों (डीएम) और पुलिस कप्तानों को विदेशी नागरिकों के दस्तावेजों की कड़ी जांच के आदेश दिए गए हैं। फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करने वालों पर सख्ती बढ़ा दी गई है, और प्रत्येक जिले में अस्थायी डिटेंशन सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह कदम न केवल कानून-व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि सामाजिक सद्भाव और संसाधनों के प्रबंधन को भी सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 नवंबर को जारी निर्देशों में स्पष्ट कहा कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाया जाए। "कानून-व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव हमारी प्राथमिकता है। कोई भी अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी," योगी ने कहा। उनके निर्देशों के तहत, जिलाधिकारियों को संदिग्ध व्यक्तियों की तलाशी लेने, दस्तावेज सत्यापन करने और आवश्यकता पड़ने पर डिटेंशन सेंटर में रखने का आदेश दिया गया है। सत्यापन के बाद पुष्टि होने पर इन्हें उनके मूल देश निर्वासित कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश नेपाल के साथ खुली सीमा साझा करता है, जहां दोनों देशों के नागरिकों को मुक्त आवागमन की अनुमति है, लेकिन अन्य देशों के नागरिकों पर सख्त निगरानी रखी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभियान नेपाल-भारत सीमा पर बढ़ती घुसपैठ को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
पिछले कुछ वर्षों में सीमा जिलों में फर्जी दस्तावेजों के जरिए घुसपैठ की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इसका असर यूपी के शहरी केंद्रों पर भी पड़ा है, जहां अवैध प्रवासी संसाधनों पर दबाव डाल रहे हैं। केंद्र सरकार के निर्देशों पर यह अभियान चलाया जा रहा है, जो विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मतदाता सूची के संदर्भ में और भी प्रासंगिक है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि SIR प्रक्रिया राष्ट्र और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक है, जिसमें "हर एक घुसपैठिए" को मतदाता सूची से हटाया जाएगा। यूपी सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR का दूसरा चरण चल रहा है, जिसमें अवैध निवासियों की पहचान पर जोर दिया जा रहा है।
यह समस्या नई नहीं है। वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बताया था कि भारत में लगभग दो करोड़ अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं। इसी तरह, अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40 हजार से अधिक बताई गई थी। जांच एजेंसियों ने पाया कि यूपी के प्रमुख शहरों जैसे लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद में ये प्रवासी बसे हुए हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों का मामला विशेष रूप से संवेदनशील है, जो म्यांमार में उत्पीड़न से भागकर भारत पहुंचे हैं। हालांकि, भारत ने 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, इसलिए इन्हें कानूनी शरणार्थी का दर्जा नहीं मिलता। 2023 में यूपी पुलिस ने रोहिंग्या समुदाय पर छापेमारी चलाई थी, जिसमें 74 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अब इस अभियान के तहत ऐसी कार्रवाइयां और तेज होंगी।
अभियान के तहत खुफिया एजेंसियां संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रही हैं। नेपाल सीमा के सात जिलों में विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जहां फर्जी वीजा या आधार कार्डों का इस्तेमाल आम है। डीएम और एसपी को निर्देश दिए गए हैं कि हर विदेशी नागरिक का दस्तावेज सत्यापन अनिवार्य हो। यदि कोई व्यक्ति बिना वैध कागजात के पाया जाता है, तो उसे तुरंत डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। ये सेंटर अस्थायी होंगे, जहां सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक व्यक्ति को रखा जाएगा। योगी सरकार का कहना है कि यह कदम भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक वर्ग मानता है कि यह अभियान मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चलाया जाना चाहिए, खासकर रोहिंग्या जैसे शरणार्थियों के मामले में। लेकिन सरकार का जोर राष्ट्रीय सुरक्षा पर है।
इस अभियान से यूपी की कानून-व्यवस्था मजबूत होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, अवैध घुसपैठ न केवल संसाधनों पर बोझ बढ़ाती है, बल्कि अपराध और आतंकवाद के जोखिम को भी। केंद्र सरकार ने भी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि सीमा सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। यूपी में यह अभियान SIR के साथ जुड़कर और प्रभावी बनेगा, जहां मतदाता सूचियों से अवैध नाम हटाए जाएंगे। फिलहाल, जिला प्रशासन ने अभियान की शुरुआत कर दी है, और जल्द ही बड़ी संख्या में पहचान और कार्रवाई की उम्मीद है। यह कदम न केवल राज्य की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम करेगा। क्या यह अभियान घुसपैठ की समस्या को जड़ से खत्म कर पाएगा? समय ही बताएगा, लेकिन योगी सरकार की सख्ती साफ संकेत दे रही है कि अवैध प्रवासियों को अब कोई छूट नहीं मिलेगी।




