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Vande Mataram Discussion: वंदे मातरम भारत के पुनर्जागरण का मंत्र है, इसे बंगाल चुनाव से जोड़ना गलत: अमित शाह

Shilpi Narayan
9 Dec 2025 1:21 PM IST
Vande Mataram Discussion: वंदे मातरम भारत के पुनर्जागरण का मंत्र है, इसे बंगाल चुनाव से जोड़ना गलत: अमित शाह
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राज्यसभा में चर्चा हो रही है। चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि ये महान सदन वंदे मातरम के भाव के लिए, यशोगान के लिए और वंदे मातरम को चिरंजीव बनाने के लिए चर्चा करे और एक चर्चा के माध्यम से हमारे देश के बच्चे, किशोर, युवा आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम के आजादी के लिए योगदान को याद करें। वंदे मातरम आजादी की लड़ाई में योगदान बना। वंदे मातरम आजादी लड़ाई का संग्राम बना। वंदे मातरम को बंगाल चुनाव से जोड़ना गलत है। वंदे मातरम भारत के पुनर्जागरण का मंत्र है।

सभी चीजों से हमारी आने वाली पीढ़ियां भी युक्त हों

वहीं उन्होंने कहा कि वंदे मातरम की रचना में राष्ट्र के प्रति समर्पण का जो भाव है, उसका आने वाले भारत की रचना में योगदान, इन सभी चीजों से हमारी आने वाली पीढ़ियां भी युक्त हों। इसलिए मैं सभी का अभिनंदन करता हूं कि आज यह चर्चा सदन में हो रही है। अमित शाह ने आगे कहा कि वंदे मातरम् को चिरंजीव बनाने के लिए सदन चर्चा करें।

वंदे मातरम देशवासियों के मन को छू गया

द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम की पृष्ठभूमि में सदियों तक इस्लामिक आक्रमण झेलकर इस देश की संस्कृति को क्षीण करने, अंग्रेजों द्वारा एक नई सभ्यता और संस्कृति थोपने का प्रयास का प्रतिकार था, जिसके बाद बंकिम बाबू ने इसकी रचना की। इसके माध्यम से बंकिम बाबू ने हमारी संस्कृति, देश को माता मानकर उसकी आराधना करने की परंपरा, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को प्रतिष्ठित किया। सारे प्रतिबंधों को पार कर, अत्याचार और अनेक प्रताड़नाएं झेलकर भी वंदे मातरम देशवासियों के मन को छू गया और कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैल गया।

नेहरू ने वंदे मातरम् के किए दो टुकड़े

अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम् की स्वर्ण जयंती जब हुई, तब जवाहरलाल नेहरू जी ने इसके दो टुकड़े कर इसे दो अंतरों तक सीमित कर दिया। वहीं से तुष्टीकरण की शुरुआत हुई। अगर वंदे मातरम् के दो टुकड़े कर तुष्टीकरण की शुरुआत नहीं हुई होती तो देश का विभाजन भी नहीं होता।

हम मुद्दों पर चर्चा से नहीं डरते, संसद चलने दें हर मुद्दे पर चर्चा होगी

उन्होंन कहा कि मैं कल देख रहा था कि कांग्रेस के कई सदस्य आज वंदे मातरम की चर्चा क्यों जरूरी है और इसको एक राजनीतिक हथकंडा बता रही थीं। मुद्दों पर चर्चा करने से कोई नहीं डरता, संसद का बहिष्कार हम नहीं करते। संसद चलने दें तो हर मुद्दे पर चर्चा होगी। हम किसी से नहीं डरते और कुछ नहीं छिपाते। संसद चलने दें तो हर मुद्दे पर चर्चा होगी। लेकिन वंदे मातरम पर चर्चा टालने की यह कोशिश ठीक नहीं। वंदे मातरम के 150 साल पूरे हुए हैं। जब वंदे मातरम के 50 साल हुए, देश आजाद नहीं हुआ था। 1937 में जब स्वर्ण जयंती हुए तो नेहरू जी ने वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए। 50वें पड़ाव में वंदे मातरम को तोड़ा गया। यहीं से तुष्टिकरण की शुरुआत हुई और इसी ने विभाजन के बीज बोए। कांग्रेस को पसंद आए न आए, लेकिन अगर वंदे मातरम के नाम पर तुष्टिकरण न होता तो देश एक होता।

कांग्रेस ने सदन में वंदे मातरम् का गान किया था बंद

अमित शाह ने कहा, 'कांग्रेस के नेतृत्व में इस सदन में वन्दे मातरम् के गान को बंद कर दिया गया था। 1992 में भाजपा सांसद राम नाईक ने वन्दे मातरम् को फिर से गाने की शुरुआत करने का विषय उठाया था। उस समय नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी जी ने लोकसभा के स्पीकर से कहा कि इसका गान सदन में होना चाहिए। फिर 1992 में लोकसभा ने वन्दे मातरम् के गान की शुरुआत हुई।

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