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मातृभूमि का भजन है वंदे मातरम्, जानें इस राष्ट्रीय गीत का हिन्दी में अर्थ और समझें महत्व

नई दिल्ली। आज से संसद में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है। पीएम मोदी ने सदन में चर्चा की शुरुआत की है। इस बीच लोग वंदे मातरम् का हिन्दी में अर्थ जानना चाहते हैं। लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के लिए 10 घंटे का वक्त तय किया गया है। वहीं कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई ने पक्ष रखा है। गोगोई ने कहा कि आज वंदे मातरम् राष्ट्रीय गीत से अलग एक राजनीतिक नारे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
वन्दे मातरम् एक संस्कृत कविता है जिसे बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में लिखा था। यह बाद में उनके उपन्यास 'आनंद मठ' में शामिल हुआ और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रेरणास्रोत बन गया।
इसका विस्तृत अर्थ हिंदी में इस प्रकार है:
वन्दे मातरम् का अर्थ (हिन्दी में)
यह गीत मातृभूमि को देवी के रूप में पूजता है और उसकी वंदना करता है।
भावार्थ:
"वन्दे मातरम्"
अर्थ: मैं मां (मातृभूमि) की वंदना करता/करती हूं।
"सुजलां सुफलां मलयज शीतलाम्, शस्य श्यामलां मातरम्।"
अर्थ: हे मां, तुम सुंदर जल (सुजलां) और फलों (सुफलां) से परिपूर्ण हो, तुम पवित्र हवा (मलयज) से शांत (शीतलाम्) हो, तुम फसलों से हरी-भरी (शस्य श्यामलां) हो। ऐसी मां (मातरम्) की मैं वंदना करता हूं।
"शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्, फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्, सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्, सुखदां वरदां मातरम्।"
अर्थ: तुम्हारे ऊपर चांदनी (शुभ्र ज्योत्स्ना) रात्रि को आनंदित (पुलकित यामिनीम्) करती है। तुम खिले हुए फूलों (फुल्ल कुसुमित) और पेड़ों की डालियों (द्रुमदल) से सुशोभित (शोभिनीम्) हो। तुम मनमोहक मुस्कान (सुहासिनीं) वाली और मधुर वाणी (सुमधुर भाषिणीम्) वाली हो। तुम सुख देने वाली (सुखदां) और वरदान देने वाली (वरदां) मां हो।
महत्व:
यह कविता देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। 1937 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसके पहले दो पद को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया था। यह राष्ट्रगान 'जन गण मन' के समान ही सम्मानित है।




