Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

वक्फ एक इस्लामी अवधारणा... SG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दी दलील, जानें मुख्य बात

Shilpi Narayan
21 May 2025 7:15 PM IST
वक्फ एक इस्लामी अवधारणा... SG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दी दलील, जानें मुख्य बात
x
तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर दावा नहीं कर सकता।

नई दिल्ली। वक्फ कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। वहीं सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है। लेकिन यह इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं है। इसलिए इस पर संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में नहीं दावा किया जा सकता। जब तक वक्फ को इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं माना जाता, तब तक अन्य सभी विफल हो जाती हैं।

अन्य दलीलों का कोई मतलब नहीं

बता दें कि इस दौरान SG मेहता ने कहा कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, जिसे नकारा नहीं जा सकता है। वहीं उन्होंने आगे कहा कि लेकिन जब तक इसे इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं माना जाता, तब तक अन्य दलीलों का कोई मतलब नहीं है। 2025 के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं केंद्र ने यह जवाब दिया है। मेहता ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर दावा करने का अधिकार नहीं है, भले ही वह जमीन वक्फ के रूप में घोषित की गई हो।

कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर दावा नहीं कर सकता

वहीं एसजी मेहता ने आगे कहा कि वक्फ संपत्ति एक मौलिक अधिकार नहीं है। इसे कानून द्वारा मान्यता दी गई थी। तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है, जो कहता है कि अगर संपत्ति सरकारी है और वक्फ के रूप में घोषित की गई है, तो सरकार उसे बचा सकती है। अगर कोई अधिकार विधायी नीति के तहत दिया गया है, तो उसे हमेशा वापस लिया जा सकता है।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बना कानून

बता दें कि चीफ जस्टिस (सीजेआई) बी.आर.गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अप्रैल में संसद से पारित किया गया था और पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद यह कानून बन गया।

Next Story