
- Home
- /
- मुख्य समाचार
- /
- क्या Ahmedabad Plane...
क्या Ahmedabad Plane Crash में हुआ था कॉन्फिगरेशन एरर? जानें ब्लैक बॉक्स से कैसे पता चलेगी क्रैश हुए विमान की एक-एक बात

नई दिल्ली। गुरुवार को हुए अहमदाबाद विमान हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर AI171 ने टेकऑफ किया तो सब कुछ ठीक था, लेकिन कुछ ही सेकेंड के बाद फ्लाइट ठीक से वो ऊंचाई भी तय नहीं कर पाई जो एक प्लेन को उड़ने के लिए जरूरी होती है। इसके चलते महज कुछ दूरी पर जाते ही प्लेन क्रैश कर गया और आग का गोला बन गया। इस दिल दहला देने वाले विमान हादसे में कई लोगों की बुरी तरह से आग में झुलसकर जान चली गई, जिससे हर कोई स्तब्ध है। ऐसे में इस दुर्घटनाग्रस्त विमान को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। आखिर बोइंग 787-8, VT-ANB विमान में ऐसा क्या हुआ जो ये टेकऑफ करते ही क्रैश हो गया?
क्या हो सकती है वजह?
दरअसल, ये प्लेन जिस तरह से दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उससे कई सवाल उठ रहे हैं। जिस तरह से फ्लाइट को चेक किया गया था, मौसम एकदम साफ था और इस तरह की कोई भी रुकावट उड़ान से पहले नहीं थी। ऐसे में फ्लाइट उड़ने के लिए तैयार थी, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ जो फ्लाइट उड़ते ही क्रैश हो गई? ये विमान हादसा यह भी दर्शा रहा है कि अगर टेकऑफ के दौरान कोई छोटी सी तकनीकी गलती हुई हो या फिर कॉन्फिगरेशन एरर हो जाए, तो कैसे एक बड़ा विमान हादसा हो सकता है।
क्या होता है कॉन्फिगरेशन एरर?
कॉन्फिगरेशन एरर का मतलब होता है ऑपरेशन से जुड़ी गलती। टेकऑफ करते समय अगर कॉन्फिगरेशन एरर हो जाए तो विमान हादसे का शिकार हो सकता है। इसका सीधा मतलब होता है कि विमान की उन सेटिंग्स में गलती, जो उसे सही ढंग से उड़ान भरने से रोक देती हैं। इन गलतियों में मुख्य रूप से कम थ्रस्ट, फ्रैप्स की गलत सेटिंग, लैंडिंग गियर न उठाना या समय से पहले टेकऑफ करना जैसी गलतियां शामिल होती हैं। इनमें से अगर कोई भी गलती होती है तो विमान को उड़ान भरने से लेकर उड़ान के लिए जरूरी उंचाई पकड़ने जैसी कई दिक्कतें आ सकती हैं या विमान नियंत्रण भी खो सकता है।
क्या ब्लैक बॉक्स से खुलेगा राज?
दरअसल, हर फ्लाइट में एक ‘ब्लैक बॉक्स’ यानी ‘फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर’ (FDR) होता है। हालांकि, ये नारंगी रंग का होता है, ताकि क्रैश के बाद इसे ढूंढने में आसानी हो। ये एक रिकॉर्डिंग डिवाइस है, जिसमें फ्लाइट के कई तरह के सिग्नल, बातचीत और तकनीकी डेटा रिकॉर्ड होते रहते हैं। इसमें दो तरह के रिकॉर्डर होते हैं- डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR)।
DFDR विमान की ऊंचाई, गति, इंजन की स्थिति और पालयट द्वारा की गई हर तकनीकी क्रिया को रिकॉर्ड करता है। वहीं, CVR पायलटों की आपस में बातचीत, कंट्रोल टॉवर से पायलट की बातचीत, रेडियो संपर्क और कॉकपिट की बाकी सभी आवाजों को रिकॉर्ड करता है।
ऐसे में इसी ब्लैक बॉक्स के मिलने के बाद जानकारी मिलेगी कि AI171 फ्लाइट में ऐसी क्या दिक्कत आई जो ये दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हालांकि, अगर ये ब्लैक बॉक्स सही स्थिति में होगा तो इसमें लगभग 2-4 हफ्ते तक समय लग सकता है। लेकिन अगर ये बॉक्स जल गया होगा या क्षतिग्रस्त हुआ होगा तो इसे साफ करने, सुखाने और मरम्मत जैसे कामों के कारण इसमें ज्यादा समय भी लग सकता है।