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लो जी अब सिगरेट वाले बाबा...धुएं से करते हैं इलाज, भक्तों की लगती है कतार, जरा जान लें बाबा और उसके दरबार को

Aryan
31 Dec 2025 2:40 PM IST
लो जी अब सिगरेट वाले बाबा...धुएं से करते हैं इलाज, भक्तों की लगती है कतार, जरा जान लें बाबा और उसके दरबार को
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बाबा के दर्शन से पहले पर्चा कटता है। सामान्य पर्चा 100 रुपए और इमरजेंसी पर्चा 300 रुपए तक का होता है।


बागपत। यूपी के बागपत जिले के दोघट थाना क्षेत्र में इन दिनों एक अनोखा दरबार चर्चा का विषय बना हुआ हैं। दरअसल इस दरबार के संचालक है ‘सिगरेट वाले बाबा’, जिनका असली नाम सुरेंद्र है। दावे के अनुसार, इनके पास न कोई मेडिकल डिग्री है, न दवाइयों की जरूरत और न ही किसी तरह की जांच जरूरत। बाबा सिगरेट के धुएं से हर तरह की परेशानी दूर कर सकते हैं।

मूंगफली बेचने से ‘बाबा’ बनने तक का सफर

जानकारी के मुताबिक, करीब एक साल पहले तक सुरेंद्र सड़क किनारे मूंगफली बेचकर जीवनयापन करते थे। अचानक उनकी पहचान बदल गई उन्हें ‘चमत्कारी बाबा’ कहा जाने लगा। अब वह सरदर्द, बुखार, बदन दर्द ही नहीं, बल्कि रोजगार की समस्या, पारिवारिक कलह और भूत-प्रेत तक ठीक करने का दावा करते हैं। सबसे खास बात कि उनके दरबार में दिल्ली, हरियाणा और आसपास के जिलों से भी लोग पहुंच रहे हैं।

पर्चे के हिसाब से लगती है फीस

बता दें कि दरबार की पूरी व्यवस्था सिस्टम से चलती है। बाबा के दर्शन से पहले पर्चा कटता है। सामान्य पर्चा 100 रुपए और इमरजेंसी पर्चा 300 रुपए तक का होता है। पर्चा काटने के लिए अलग से युवक रखा गया है। श्रद्धालु की बारी आने पर उन्हें बाबा के सामने बैठाया जाता है। पहले 30 से 40 सेकंड तक भजन चलता है, बाबा गर्दन घुमाते है और अचानक माहौल रहस्यमय बन जाता है। इसके बाद बाबा सिगरेट का कश लेकर श्रद्धालु की ओर धुआं छोड़ते हैं। ऐसा दावा है कि धुआं लगते ही बीमारी और संकट खत्म हो जाते हैं।

प्रसाद में चढ़ते हैं सिगरेट और पतासे

दरबार में एक और चौंकाने वाला नियम है, कि यहां प्रसाद के तौर पर सिगरेट और पतासे चढ़ाए जाते है लेकिन ये श्रद्धालु बाहर से नहीं ला सकते हैं। प्रसाद बाबा की दुकान से ही खरीदना जरूरी है। जानकारी के मुताबिक, इसी व्यवस्था से रोजाना अच्छी-खासी कमाई की जा रही है। दरबार में फोटो और वीडियो बनाने पर भी प्रतिबंध है।

किसी धार्मिक या सिद्ध परंपरा से कोई संबंध नहीं

बाबा कहते हैं कि वह आठवीं पास हैं और किसी धार्मिक या सिद्ध परंपरा से उनका कोई संबंध नहीं है। इसके बावजूद, उनके दरबार में आने वाले लोग इसे चमत्कार मानते हैं। कई श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें धुएं से राहत मिलती है। वहीं, कुछ लोग इसे खुला अंधविश्वास और ठगी का खेल बता रहे हैं।

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