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तिहाड़ से अफजल गुरु और मकबूल भट्ट के क्रब हटाने के मामले में कोर्ट ने क्या कहा, जानें पूरा मामला

Aryan
24 Sept 2025 4:15 PM IST
तिहाड़ से अफजल गुरु और मकबूल भट्ट के क्रब हटाने के मामले में कोर्ट ने क्या कहा, जानें पूरा मामला
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जनहित याचिका में बड़ा सवाल उठाया गया है कि क्या आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें जेल परिसर से हटाई जा सकती हैं?

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के मामले में चौंकाने वाली खबर आ रही है। इस जनहित याचिका की मांग के मुताबिक तिहाड़ जेल परिसर से आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटाई जानी चाहिए। बता दें कि अफजल गुरु और मकबूल भट्ट को तिहाड़ में ही दफनाया गया था।

याचिकाकर्ता ने सुरक्षा और संवेदनशीलता से जुड़ा मुद्दा उठाया है

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका में बड़ा सवाल उठाया गया है कि क्या आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें जेल परिसर से हटाई जा सकती हैं? याचिकाकर्ता ने इसे जेल नियमों का उल्लंघन बताया है और कहा कि इसे राष्ट्र की सुरक्षा और संवेदनशीलता से जुड़ा मुद्दा समझना चाहिए।

कब्रों की मौजूदगी जेल के नियमों के विरूद्ध है

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में मांग की गई है कि तिहाड़ जेल के अंदर मौजूद अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाया जाए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कब्रों की मौजूदगी जेल के नियमों के खिलाफ है। यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक संवेदनशील विषय है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से किया सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कुछ सवाल पूछे। कोर्ट ने पूछा कि याचिका में तिहाड़ जेल के नियमों के उल्लंघन से जुड़े पर्याप्त सबूत नहीं हैं। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की पीठ ने कहा कि याचिका में यह भी नहीं दर्शाया गया है कि कब्रें जेल परिसर के अंदर कितनी दूरी पर बनी हैं।

वकील बरुण कुमार सिन्हा ने कहा

याचिकाकर्ता के वकील बरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि कोर्ट ने डेटा की कमी पर चिंता जाहिर की। सिन्हा ने कहा कि कोर्ट ने यह साफ कहा है कि अगर डेटा उपलब्ध होता जो नियमों के उल्लंघन को दिखाता तो याचिका पर आगे बढ़कर विचार किया जा सकता था।

अफजल गुरु और मकबूल भट्ट का परिचय

2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सह-संस्थापक। वहीं, मकबूल पर एक भारतीय राजनयिक की हत्या का आरोप लगा था। उसे 11 फरवरी 1984 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।


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