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जब भारत में यौन अपराधों और बलात्कार करने पर मिलता था इतना क्रूर दंड! सजा का प्रकार सुनकर सहम जाएंगे

Anjali Tyagi
9 Sept 2025 8:00 AM IST
जब भारत में यौन अपराधों और बलात्कार करने पर मिलता था इतना क्रूर दंड! सजा का प्रकार सुनकर सहम जाएंगे
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नई दिल्ली। मनुस्मृति और गरुड़ पुराण दोनों में यौन अपराधों और बलात्कार के लिए कठोर दंड का उल्लेख है, जो अपराधियों को उनके कृत्यों के लिए दंडित करने पर केंद्रित है। हालांकि, दंड की प्रकृति और उनका क्रियान्वयन अलग-अलग है।

मनुस्मृति में यौन अपराधों और बलात्कार के साक्ष्य

मनुस्मृति एक प्राचीन कानूनी ग्रंथ है, जिसमें यौन अपराधों के लिए कई दंडों का वर्णन किया गया है।

मृत्युदंड- मनुस्मृति के अध्याय 8, श्लोक 364 में कहा गया है कि जो व्यक्ति किसी अनिच्छुक युवती का शील भंग करता है, वह तत्काल मृत्यु का पात्र है। इसके अलावा, मनुस्मृति के अध्याय 8, श्लोक 352 में भी उल्लेख है कि स्त्रियों का अपहरण करने वाले को राजा द्वारा मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।

शारीरिक और यातनापूर्ण दंड- अध्याय 8, श्लोक 352 के अनुसार, बलात्कारियों और व्यभिचारियों के हाथ-पैर काटने के साथ-साथ उन्हें यातनापूर्ण दंड देने का भी विधान था।

बहिष्कार- यदि कोई पुरुष किसी नारी का शील भंग करता है, तो उसे समाज से बहिष्कृत करने का भी उल्लेख है।

जाति के आधार पर भेदभाव- कुछ विद्वानों के अनुसार, मनुस्मृति के कुछ श्लोकों में दंड में जातिगत भेदभाव का उल्लेख है। उदाहरण के लिए, अध्याय 8, श्लोक 385 के अनुसार, यदि पुरोहित किसी अन्य जाति की स्त्री के साथ बलात्कार करता है, तो उसे कम दंड (अर्थदंड) दिया जाता था, जबकि अन्य जातियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान था। हालाँकि, यह व्याख्या विवादित है और कई विद्वान इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हैं।

गरुड़ पुराण में यौन अपराधों और बलात्कार के साक्ष्य

गरुड़ पुराण मुख्य रूप से मृत्यु के बाद मिलने वाले दंडों और नरक की अवधारणा पर केंद्रित है। इसमें यौन अपराधों के लिए मृत्यु के बाद आत्मा को मिलने वाली कठोर यातनाओं का वर्णन है।

नरक में यातना- गरुड़ पुराण के अनुसार, बलात्कार जैसे जघन्य पाप करने वाले को मृत्यु के बाद नरक में विशेष प्रकार की पीड़ादायक सजाएं दी जाती हैं। ये यातनाएं शारीरिक, मानसिक और आत्मिक पीड़ा का कारण बनती हैं।

गर्म तेल में उबालना- कुछ अंशों के अनुसार, दुष्कर्मी को नरक में गर्म तेल के कड़ाह में लगातार उबाला जाता है, जिससे उसकी आत्मा को अत्यधिक कष्ट होता है।

विषाक्त कुओं में फेंकना- एक और उल्लेख में बताया गया है कि जो पुरुष महिलाओं के साथ क्रूर व्यवहार करते हैं, उन्हें मलमूत्र, रक्त और बलगम से भरे कुओं में फेंक दिया जाता है।

जानवरों से कुचलवाना- कुछ व्याख्याओं के अनुसार, बलात्कारियों को क्रूर सांपों के बीच छोड़ दिया जाता था या जानवरों से कुचलवा दिया जाता था।

पुनर्जन्म का दंड- गरुड़ पुराण के अनुसार, यौन हिंसा करने वाले व्यक्ति को अगले जन्म में विभिन्न प्रकार के जानवरों (जैसे अजगर) के रूप में जन्म लेना पड़ता है या वह नपुंसक पैदा होता है।

सारांश

मनुस्मृति- सांसारिक दंडों पर केंद्रित है, जिसमें मृत्युदंड, अंग-भंग, और सामाजिक बहिष्कार जैसे कड़े प्रावधान शामिल हैं। हालाँकि, इसमें दंड के मामले में जातिगत भेदभाव के कुछ विवादास्पद अंश भी मिलते हैं।

गरुड़ पुराण- मृत्यु के बाद आत्मा को नरक में मिलने वाले अत्यंत कठोर और यातनापूर्ण दंडों पर केंद्रित है, जो यौन अपराधों को एक गंभीर पाप मानता है।

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