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कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों जलाए जाते हैं 365 दीपक? जानें क्या है दीपक जलाने की विधि

नई दिल्ली। कार्तिक पूर्णिमा के दिन 365 बाती का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे पूरे साल की पूजा का शुभ फल एक साथ प्राप्त होता है। यह दीपक साल के 365 दिनों का प्रतिनिधित्व करता है, और इसे जलाने से साल भर के दीपदान का पुण्य मिलता है।
365 बाती बनाने की विधि
कलावे या सूत का प्रयोग करें: कलावा या कच्चा सूत लें, जिसमें आप 365 बत्तियां बना सकें।
कलावे को लपेटें: कलावे को अपने हाथ पर 73 बार लपेटें।
बाती काटें: हाथ में लपेटे हुए कलावे को बीच से दो भागों में काट दें, जिससे आपकी 365 बाती तैयार हो जाएंगी। आप 41 बार लपेटकर भी बाती बना सकते हैं।
दीपक जलाने की विधि
नारियल का प्रयोग करें: सूखा नारियल लें और उसे बीच से काटकर दो हिस्से कर लें।
घी और बाती भरें: एक हिस्से में देसी घी भरें और फिर उसमें तैयार की गई बाती रखें।
आसन और तिलक लगाएं: दीपक के नीचे चावल या तिल का आसन दें। फिर हल्दी और रोली से दीपक का तिलक करें।
पूजा पूरी करें: दीपक के अंदर थोड़ी खील डालें और फिर दीपक के ऊपर से तीन बार जल घुमाएं।
दीपक कहां जलाएं
आप इस दीपक को अपने घर के मंदिर में, तुलसी के पौधे के नीचे, या पीपल के पेड़ के पास जला सकते हैं। अगर आप मंदिरों में दीपदान कर रहे हैं, तो आप इसे श्री नारायण के मंदिर में या बहते हुए पानी के पास भी कर सकते हैं। आप किसी भी स्थान पर दीपक रख सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि जब आप दीपक जलाकर रखें तो आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो।
365 बाती का दीपक क्यों जलाते हैं?
साल भर का पुण्य: कार्तिक माह में रोजाना दीपदान करने का विशेष महत्व है। जो लोग किसी कारणवश पूरे महीने दीपदान नहीं कर पाते हैं, वे कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक साथ 365 बाती का दीपक जलाकर साल भर के दीपदान का फल प्राप्त कर सकते हैं।
पापों का नाश: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दीपक को जलाने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
सकारात्मक ऊर्जा: यह दीपक घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता का संचार करता है।
भगवान विष्णु और शिव का आशीर्वाद: यह पवित्र दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों को समर्पित है। इस दिन यह दीपक जलाने से दोनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक विकास होता है।
मंत्र
दीपक जलाते समय आप "दीपो ज्योति परंब्रह्मा" मंत्र का जाप कर सकते हैं, या आप "ओम नमः शिवाय दीपांकरशामी" या "ओम विष्णुव नमः दीपमदर्शयामी" जैसे सरल मंत्रों का भी प्रयोग कर सकते हैं।




