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क्यों मांगी जाती है नंदी के कान में मनोकामना? जानिए इसके पीछे की मान्यताएं और इतिहास

नई दिल्ली। भारत के प्राचीन मंदिरों में एक अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है वो है नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहना। भगवान शिव के वाहन नंदी, हर शिव मंदिर में उनकी प्रतिमा के सामने स्थापित होते हैं। भक्त शिवलिंग की पूजा के बाद नंदी के कान में अपनी इच्छाएं फुसफुसाते हैं, यह मानते हुए कि नंदी उनकी प्रार्थना भगवान शिव तक पहुंचाएंगे।
क्यों कही जाती है नंदी के कान में मनोकामना?
बता दें कि भक्त नंदी के कानों में इसलिए फुसफुसाते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि नंदी भगवान शिव के सबसे करीबी और विश्वसनीय दूत (messenger) हैं। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि नंदी के कान में अपनी इच्छा या प्रार्थना कहने से, वह सीधे भगवान शिव तक पहुंच जाती है और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव अक्सर गहरे ध्यान (तपस्या) में लीन रहते हैं। ऐसे में, अन्य देवी-देवता या भक्त उन्हें सीधे परेशान नहीं कर सकते थे। नंदी, जो शिव के द्वारपाल और वाहन हैं, ने संदेशों को उन तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया। शिव ने नंदी को यह वरदान भी दिया था कि जो भी उनके कान में अपनी इच्छा कहेगा, वह सीधे शिव तक पहुंच जाएगी। नंदी को भक्त और भगवान के बीच एक मध्यस्थ के रूप में देखा जाता है। नंदी को अपनी बात कहने से भक्तों को लगता है कि उनकी प्रार्थना सुनी जाएगी और जल्द पूरी होगी। नंदी को भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है, जो हमेशा एकाग्रचित्त होकर शिव की ओर देखते रहते हैं। नंदी के कान में फुसफुसाना भक्त के गहरे विश्वास और पूर्ण समर्पण का प्रतीक है।
ऐसी कथा भी है कि एक बार जब पार्वती का अपहरण हुआ, तब देवताओं ने नंदी के कान में यह खबर फुसफुसाई, और नंदी ने ही शिव तक यह संदेश पहुंचाया, जिससे शिव का ध्यान भंग हुआ और पार्वती को बचाया जा सका। इस घटना ने नंदी की संदेश पहुंचाने की क्षमता को और स्थापित किया।
- भक्त आमतौर पर नंदी के दाहिने कान में अपनी मनोकामना धीरे से कहते हैं और अक्सर दूसरा कान बंद कर लेते हैं ताकि इच्छा बाहर न जाए। कुछ लोग इच्छा कहने से पहले 'ओम' शब्द का उच्चारण भी करते हैं।
कैसे कहें नंदी के कान में मनोकामना?
नंदी के कान में मनोकामना कहने का भी एक तरीका है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, मनोकामना बाएं कान में कहनी चाहिए। कहते हैं कि मनोकामना कहते समय अपने दोनों हाथों से अपने होठों को ढक लेना चाहिए ताकि कोई और उसे सुन न सके। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नंदी के कान में किसी की बुराई या किसी का बुरा करने की बात नहीं कहनी चाहिए।




