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हिंदू धर्म में बांस को जलाना क्यों माना जाता है अशुभ, जानें क्या है इसके पीछे का कारण

Anjali Tyagi
9 Oct 2025 8:30 AM IST
हिंदू धर्म में बांस को जलाना क्यों माना जाता है अशुभ, जानें क्या है इसके पीछे का कारण
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नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति और परंपरा में हर पेड़-पौधों का अपना महत्व है। पेड़ों और फलों की पूजा धार्मिक अनुष्ठानों और भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है। बांस के पेड़ और उससे बनने वाली कई तरह की सामग्रियों को लेकर भी पुराणों और धर्म शास्त्रों में अलग-अलग व्याख्या मिलती है। हिंदू परंपरा में बांस को जलाने की मनाही के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। इसे बेहद पवित्र माना जाता है, इसलिए इसे जलाना अशुभ समझा जाता है।

धार्मिक कारण

वंश का प्रतीक- बांस को "वंश" का प्रतीक माना जाता है, जिसका अर्थ है परिवार या कुल। इसे जलाने का मतलब वंश को नष्ट करना समझा जाता है, जिससे कुल नाश होता है और आने वाली पीढ़ियों का सौभाग्य खत्म हो सकता है।

भगवान कृष्ण से संबंध- बांस भगवान कृष्ण के प्रिय वाद्य यंत्र बांसुरी का आधार है। इस पवित्र संबंध के कारण बांस को जलाना अपमानजनक माना जाता है।

पितृ दोष- कुछ धर्मशास्त्रों के अनुसार, बांस जलाने से पितृ दोष लगता है, जिससे पूर्वजों की शांति में बाधा आती है। स्कंद पुराण भी इस बात का उल्लेख करता है।

पवित्रता- बांस को एक पवित्र पौधा माना जाता है और कई शुभ अवसरों जैसे शादी, उपनयन संस्कार आदि में बांस से मंडप और सजावट की जाती है।

जीवन और मृत्यु के चक्र में उपयोग- हिंदू धर्म में, बांस का उपयोग जीवन के कई महत्वपूर्ण पड़ावों पर होता है। यह जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के साथ जुड़ा होता है, जहां शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए बांस की टिकठी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसे चिता में नहीं जलाया जाता।

वैज्ञानिक कारण

हानिकारक गैसें- बांस में क्रोमियम, कैडमियम, सीसा और तांबा जैसी कई भारी धातुएं होती हैं। जब इसे जलाया जाता है, तो ये धातुएं ऑक्साइड बनाती हैं, जो हानिकारक होती हैं।

पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन- बांस के जलने पर पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) नामक कार्सिनोजेनिक (कैंसर कारक) यौगिक निकलते हैं। इनके धुएं को सांस के ज़रिए अंदर लेना सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण- प्राचीन काल से ही बांस को पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। हमारे पूर्वज इसके पर्यावरणीय महत्व को जानते थे और इसे जलाने से रोकने के लिए नियम बनाए। इन धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारणों से हिंदू परंपरा में बांस को जलाना वर्जित है। यह हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता सिखाता है।

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