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पितृ पक्ष में क्यों की जाती है त्र्यंबकेश्वर में नारायण नागबली पूजा, जानें इसका महत्व और इतिहास

Anjali Tyagi
15 Sept 2025 8:00 AM IST
पितृ पक्ष में क्यों की जाती है त्र्यंबकेश्वर में नारायण नागबली पूजा, जानें इसका महत्व और इतिहास
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नासिक। महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। पितृ पक्ष का समय हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक महत्व का होता है। लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं, उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विविध धार्मिक अनुष्ठान भी कराते हैं।

त्र्यंबकेश्वर में नारायण नागबली पूजा क्यों की जाती है?

- नारायण बलि पूजा पूर्वजों की असंतुष्ट आत्माओं को मुक्त करने और पितृ दोष (पैतृक दोष) से मुक्ति पाने के लिए की जाती है।

- नाग बली पूजा सांपों को मारने के पाप से मुक्ति दिलाती है और नाग दोष को समाप्त करती है।

- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तीन मुखों का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसे पितृ और कर्म संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक बहुत प्रभावी और पवित्र स्थान बनाता है।

- पितृपक्ष पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है. ऐसे शुभ समय में पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

- यह पूजा जीवन में शांति, समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और सफलता लाती है और पारिवारिक सद्भाव को बढ़ावा देती है।

पूजा के उद्देश्य

प्रेतयोनि से मुक्ति- नारायण बलि अनुष्ठान आकस्मिक मृत्यु के कारण प्रेतयोनि में अटक गई आत्माओं को कष्ट से मुक्त करने और उन्हें शांति प्रदान करने के लिए किया जाता है।

पितृ दोष निवारण- यह पूजा पितृ दोष को दूर करती है, जिससे परिवार को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

नाग दोष निवारण- नागबली अनुष्ठान सांप को मारने के पाप से प्रायश्चित करने और नाग दोष से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है, जिससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

पूजा का महत्व

- नारायण नागबली पूजा एक तीन दिवसीय हिंदू अनुष्ठान है जो विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर में किया जाता है।

- पितृ पक्ष का समय इस पूजा के लिए शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का समय होता है।

- इस पूजा के माध्यम से आत्मा को मानव जीवन के चक्र से मोक्ष की ओर बढ़ने में सहायता मिलती है।

- इस अनुष्ठान से मानसिक शांति और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।

त्र्यंबकेश्वर को विशेष क्यों माना जाता है?

ज्योतिर्लिंग का स्थान- त्र्यंबकेश्वर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो इसे भगवान शिव की विशेष कृपा वाला स्थान बनाता है।

ब्रह्मगिरि पर्वत- यहीं से पवित्र गंगा और गोदावरी नदियों का उद्गम होता है।

पवित्र जल- गोदावरी और अहिल्या नदियों के संगम में पूजा और विसर्जन करना अत्यंत पवित्र माना जाता है।

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