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सावन में साग और कढ़ी का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए, जानें आयुर्वेद क्या कहता है

नई दिल्ली। सावन के महीने में बहुत सी ऐसी खाने की वस्तुएं हैं, जिनका सेवन करना स्वास्थ्य के हिसाब से मना किया जाता है। जैसे कढ़ी और साग जैसे देसी फूड्स भी खाने को मना किया जाता है। हालांकि सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन इसके पीछे कारण हैं, जो डाइजेशन और हेल्थ से जुड़ा है।
खान-पान में करें बदलाव
सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है। धार्मिक दृष्टिकोण से शिव भक्तों के लिए सावन का बहुत महत्व होता है। लेकिन ये सिर्फ एक पवित्र महीना ही नहीं है, बल्कि एक ऐसा मास है जब लोग अपने खान-पान में बदलाव करते हैं। ऐसे तो इस मास में उपवास रखना, नॉन-वेज और शराब से परहेज करना आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महीने में कढ़ी और साग जैसे देसी फूड्स ना खाने की सलाह क्यों दी जाती है? जानते हैं कि कढ़ी और साग सावन में क्यों नहीं खानी चाहिए ?
आयुर्वेद के हिसाब से
आयुर्वेद के अनुसार, बरसात के मौसम में कुछ फूड्स खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है, वातावरण में बहुत नमी होने के कारण, डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का करना पड़ता है।
कढ़ी खट्टी होती है,जो पेट के लिए भारी होता है और साग में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिसे पचाने में मुश्किल हो सकती है। इसलिए सावन के दौरान इनका त्याग करना चाहिए।
कढ़ी पचाना कठिन
कढ़ी बेसन और छाछ से बनाई जाती है। सावन में गायें गीली घास का सेवन करती हैं, जिससे छाछ की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इस मौसम में ये मिश्रण पेट के लिए बहुत ठंडा होता है। छाछ के खट्टा होने से इससे पचाने में कठिनाई आती है।
बरसात के मौसम में साग में कीटाणु हो जाते हैं
पालक और सरसों के जैसे पत्तेदार सब्जियां ठंडी भी मानी जाती हैं। इसके साथ ही बारिश के मौसम में कीटाणु और विषाणु भी बहुत ज्यादा पनपते हैं। जिनसे बीमारी फैलने का खतरा होता है, ये कीटाणु हरी पत्तेदार सब्जियों को अपना घर बनाते हैं और जिसे खाने से आप बीमार हो सकते हैं।