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ईरान-इस्राइल युद्ध के कारण क्या मंहगा होगा पेट्रोल! जानें भारत पर होगा कितना असर

नई दिल्ली। इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। इससे पूरी दुनिया के बाजारों में अफरा-तफरी का माहौल है। बता दें कि भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है और शेयर टूट गए हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर भी इसका असर दिख सकता है। जिसके चलते अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा असर माल ढुलाई पर पड़ेगा और इसका असर आवश्यक पदार्थों की कीमतों में तेजी के रूप में सामने आ सकता है।
कहां पहुंची तेल की कीमत?
तेल की कीमतें 13 फीसदी से ज्यादा बढ़कर दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। तेल की आपूर्ति में बाधा आने की आशंका से ऐसा हुआ। ब्रेंट क्रूड का बेंचमार्क अनुबंध 78.50 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यह 27 जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है। रूस ने साल 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था, जिसके बाद कीमतें बढ़ गई थीं।
शेयर मार्केट में आई गिरावट
बता दें कि शुक्रवार को दुनियाभर के शेयर बाजार में गिरावट आई, क्योंकि निवेशकों ने सुरक्षित जगहों की तलाश की। अमेरिकी शेयर बाजार में 1% से ज्यादा की गिरावट आई। डॉलर, येन और स्विस फ्रैंक के साथ-साथ सोना और ट्रेजरी भी मजबूत हुए। ट्रेजरी अमेरिकी सरकार द्वारा जारी किए गए बॉन्ड होते हैं। शुक्रवार को भारतीय शेयर मार्केट में भी बड़ी गिरावट आई। सेंसेक्स जहां 1300 अंक से ज्यादा गिर गया था
भारत पर होगा कितना असर ?
फिलहाल सवाल यह उठ रहा है कि अगर पेट्रोल की कीमय में इजाफा होता है तो इसका कितना असर भारत के ऊपर होगा। तो आपको बता दें कि भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 44.6% हिस्सा सिर्फ मिडिल ईस्ट से आयात करता है। ऐसे में अगर ये तनाव लंबा खिंचता है, तो क्रूड की कीमतों में और तेजी संभव है। भले ही भारत ने अपनी आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है, लेकिन इसके बावजूद कच्चे तेल की कीमत में 10% से अधिक की वृद्धि से आयात बिल में 90,000 करोड़ रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है। तो वहीं निफ्टी 50 भी 400 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया। इस गिरावट के कारण निवेशकों का 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ।
क्या है भारत की तैयारी
भारत ने तेल आयात के स्रोतों को कई देशों तक फैला दिया है। फिलहाल रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो कुल आयात का लगभग 35-40% हिस्सा देता है। इसके अलावा इराक, सऊदी अरब, UAE, वेनेजुएला, नाइजीरिया और अमेरिका से भी तेल खरीदा जा रहा है