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क्या दलाई लामा की परंपरा आगे भी रहेगी बरकरार? फिलहाल उत्तराधिकारी को लेकर लामा और चीन के बीच टकराव!

नई दिल्ली। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और चीन के बीच उत्तराधिकारी चुनने को लेकर एक बार फिर टकराव सामने आया है । वहीं दलाई लामा ने कहा कि उत्तराधिकारी की खोज में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख और धर्म रक्षक देवताओं से सलाह ली जानी चाहिए। चीन ने दोहराया कि 15वें दलाई लामा का चुनाव केवल चीनी सरकार की मंजूरी से ही हो सकता है।
चीनी सरकार धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति लागू करती है
बता दें कि विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य महान बौद्ध हस्तियों के पुनर्जन्म का चयन सोने के कलश से पर्ची निकालकर किया जाना चाहिए और केंद्रीय सरकार की ओर से अनुमोदित किया जाना चाहिए। उन्होंने 18वीं शताब्दी में किंग राजवंश के सम्राट की ओर से शुरू की गई एक पद्धति का उल्लेख किया।
माओ ने कहा कि चीनी सरकार धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति लागू करती है, लेकिन धार्मिक मामलों और तिब्बती जीवित बुद्धों के पुनर्जन्म के प्रबंधन के तरीकों पर नियम हैं। उन्होंने ये भी कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकार को चीनी कानूनों और विनियमों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करना चाहिए।
उत्तराधिकारी की खोज की जिम्मेदारी गदेन फोडरंग ट्रस्ट को दी
वहीं इससे पहले प्रार्थना समारोह के दौरान रिकॉर्ड किए गए संदेश में दलाई लामा ने कहा कि उत्तराधिकारी की खोज में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख और धर्म रक्षक देवताओं से सलाह ली जानी चाहिए। हमेशा की तरह परंपरा के अनुसार ही पूरी प्रक्रिया होनी चाहिए। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की खोज की जिम्मेदारी गदेन फोडरंग ट्रस्ट को दी है। यह संस्था पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी।
दलाई लामा की परंपरा को आगे भी जारी रखा जाए
दलाई लामा ने कहा है कि पिछले 14 सालों से उन्हें तिब्बत, प्रवासी तिब्बती समुदाय और एशिया के कई बौद्ध अनुयायियों जैसे चीन, मंगोलिया और रूस से बार-बार यह अनुरोध मिल रहा था कि दलाई लामा की परंपरा को आगे भी जारी रखा जाए। इन सभी अपीलों को देखते हुए उन्होंने अब साफ कर दिया है कि दलाई लामा की परंपरा आगे भी चलेगी, लेकिन यह पूरी तरह धार्मिक और सांस्कृतिक नियमों के अनुसार होगी।