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सवाल तो उठेंगे आखिर चुप्पी कब तक

Saurabh Mishra
20 July 2023 9:20 AM GMT
सवाल तो उठेंगे आखिर चुप्पी कब तक
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वैसे तो मणिपुर हिंसा पिछले दो महीनों से चल रही है । लेकिन हाल ही में हुई यौन हिंसा को देखकर पूरे देश की रूक कांप गई । इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज संज्ञान लेते हुए संसद भवन में दुख जाहिर किया और कहां किसी दोषी को नहीं छोड़ा जाएगा । पर सवाल उठता है की यह मामला इतना बड़ा होने तक शांति क्यों रखी गई ?

इस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भी टिप्पणी की । उन्होंने कहा घटना के बारे में जानकर वह स्तब्ध है और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है । साथ ही उन्होंने कहा कि मामले पर कार्यवाही करने के लिए सरकार को कुछ समय दिया जाएगा । उसके बावजूद अगर कुछ नहीं हुआ तो हम कार्यवाही करेंगे । महिलाओं का यह यौन हिंसा का वीडियो 4 मई का है । जिसमें दरिंदगी की सारी हदें पार होती दिख रही है । जिसे देखकर हर कोई स्थब्द है ।

यह सब देखकर एक सवाल जरूरत है कि आखिर इंसान और इंसानियत कहां जा रही है । आरक्षण के एक मुद्दे पर शुरू हुई बहस इस तरह यौन हिंसा तक कब और कैसे पहुंच गई ?

कश्मीर में हुए हिंदुओं के साथ अत्याचार आज तक देश भुला नहीं है । उसके बाद भी इस तरह के के घटनाओं का होना बेहद शर्मिंदगी वाली बात है । इसके लिए जिम्मेदार कौन ? यह सोचने की जरूरत है । क्या 2 महीनों से इस हिंसा को शांत करना इतना मुश्किल था । फोर्स से लेकर तो प्रशासन तक सब कोशिश करके भी यह हिंसा क्यों नहीं रोक पा रहे हैं ? क्या सच में मणिपुर की इंसान की इंसानियत जलकर खाक हो चुकी है ? जो 800- 1000 लोगों के सामने 3 महिलाओं के साथ इतनी बर्बरता करते होती है और किसी की इंसानियत नहीं जागी।

महिलाओं के सामने इनके घर के पुरुषों को मारा गया । तब भी सब चुप रहे ।आखिर क्या मिल जाएगा यह सब करके? सोचने की जरूरत है । देश महाशक्ति बने या ना बने पर अगर देश में देश की बेटियां ही सुरक्षित नहीं रह पाएगी तो महाशक्ति बन कर भी हम क्या ही कर लेंगे? विपक्ष द्वारा बार-बार सवाल उठाने पर भी सबकी चुप्पी तो कहीं इस घटना की जिम्मेदार नहीं।

देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और उसी महिला को इंसान होने का हक भी नहीं मिलता । हर बार जब जब इस तरह के के घटनाएं होती है तब तब आवाज उठती है और बाद में सब शांत हो जाता है । और घटनाएं ऐसे ही घटती रहती है । आखिर कब तक इसी तरह मौन रहकर सब सहा जाएगा ।आज जिस जिसके घर में बेटी है वह हर इंसान इस घटना को देख कांप गया । फिर वह कोई सेलिब्रिटी हो या आम इंसान । किसी के कमजोरी का इस तरह फायदा उठाना कहां तक सही है। 800 - 1000 लोग अपनी ताकत दिखा रहे थे तीन औरतों पर । समस्या सिर्फ प्रदेश की नहीं बल्कि उन सभी लोगों की सोच की है ।जिनके लिए वो 3 महिलाएं सिर्फ किसी और समाज का हिस्सा थी । यह घटना किसी के भी साथ हो सकती थी । कब खुलेगी आखिर समाज की आंखें आखिर कब वह दिन आएगा जब हम अभिमान से कह पाएंगे कि हमारे देश में बेटियां सुरक्षित है । भारत को भारत माता कहते हैं और उसी के कपड़े नोचने में 2 सेकंड नहीं लगाते ।

Saurabh Mishra

Saurabh Mishra

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