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उत्तराखंड

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व: जन्म देने के पांचवें दिन बाघिन ने खा लिए अपने तीनों शावक, क्या तनाव है वजह?

Abhay updhyay
25 July 2023 7:22 AM GMT
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व: जन्म देने के पांचवें दिन बाघिन ने खा लिए अपने तीनों शावक, क्या तनाव है वजह?
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में बचाई गई बाघिन ने जन्म देने के पांचवें दिन अपने तीनों शावकों को खा लिया। शिकारियों के जाल में फंसी यह बाघिन कैमरा ट्रैप में कैद हो गई, जिसे बाद में ट्रैंकुलाइज करके रेस्क्यू सेंटर लाया गया. बाघिन द्वारा अपने ही शावक को भोजन बनाने का यह पहला मामला नहीं है, लेकिन ऐसे मामले दुर्लभ हैं। इस मामले में मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है.ढेला रेस्क्यू सेंटर में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया है. बताया जा रहा है कि दो शावकों की मौत कमजोरी के कारण हुई थी, जिन्हें बाघिन ने खा लिया था. 19 जुलाई को विशेषज्ञ पैनल द्वारा बाघिन और एक शावक को भी स्वस्थ पाया गया था।. कॉर्बेट के निदेशक डॉ. धीरज पांडे ने बताया कि दो दिन पहले बाघिन अपने तीसरे शावक को भी दूध पिला रही थी।वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी और उनकी टीम लगातार सीसीटीवी के जरिए शावक और बाघिन पर नजर रखे हुए थे. 22 जुलाई को जब सीसीटीवी में शावक नहीं दिखा तो बाड़े में उसकी तलाश की गई, लेकिन न तो शावक मिला और न ही उसका शव। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहले दो शावकों की तरह ही बाघिन ने इस तीसरे शावक को भी निवाला बना लिया. बाघिन फिलहाल सामान्य आहार ले रही है और पूरी तरह से स्वस्थ नजर आ रही है. उनके व्यवहार पर लगातार निगरानी रखी जा रही है.बाघिन द्वारा अपने ही शावक को निवाला बनाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. देश-विदेश में ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। पिछले साल भारत में महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के खुर्सापार क्षेत्र में एक बाघिन को अपने एक महीने के शावक को खाते हुए देखा गया था। जेरूसलम बाइबिल चिड़ियाघर में एक बाघिन ने अपने पांच सप्ताह के दो बच्चों को खा लिया। हालांकि, इस मामले में कॉर्बेट निदेशक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।

...तो क्या तनाव में बाघिन ने शावकों को खा लिया?

कॉर्बेट पार्क के ढेला रेस्क्यू सेंटर में तीन शावकों को निवाला बनाने के पीछे वन विभाग तनाव को बड़ा कारण मान रहा है। बताया जा रहा है कि बाघिन का स्वभाव काफी आक्रामक होता है. वनकर्मी उसके व्यवहार पर नजर रख रहे हैं.पशुचिकित्सक डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि चिड़ियाघरों में रहने वाले बाघ या बाघिन तनाव में हैं। दरअसल, उन्हें जंगल का माहौल नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में वे खुद को बंधा हुआ महसूस करते हैं और हमेशा तनाव में नजर आते हैं। ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखी गई बाघिन भी तनाव में है और इसी तनाव में उसने अपने बच्चों को खा लिया. ऐसा व्यवहार बाघों में आम है.इस बाघिन को 22 मई को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में बचाया गया था. उसके पेट में तार फंस गया था, लेकिन बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ है. 19 जुलाई को एनटीसीए, डब्लूआइआइ और पंतनगर विवि के पशु चिकित्सकों की टीम ने पेट में घुसे तार को निकालने के लिए जांच की।ढेला रेस्क्यू सेंटर में सीसीटीवी लगा दिए गए हैं. बाघिन के बदलते व्यवहार पर निगरानी रखी जा रही है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही बाघिन के पेट से धंसे हुए तार को निकालने के लिए सर्जरी की जाएगी.|

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