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उत्तराखंड : उत्तराखंड के 'मिनी स्विट्जरलैंड' में पर्यटकों के लिए नई सौगात, प्रकृति व आध्‍यात्‍म का संगम देगा खास अहसास

Abhay updhyay
23 Jun 2023 8:57 AM GMT
उत्तराखंड : उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड में पर्यटकों के लिए नई सौगात, प्रकृति व आध्‍यात्‍म का संगम देगा खास अहसास
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उत्तराखंड के 'मिनी स्विट्ज़रलैंड' के रूप में जाना जाने वाला चोपता गढ़वाल मंडल में लगभग 2,608 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पूरे साल पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। चोपता उत्तराखंड के मशहूर हिल स्टेशनों में से एक है. पर्यटक यहां बुग्याल (मखमली घास के मैदान) और बर्फ से ढकी चोटियां देखने के लिए आते हैं। प्रकृति प्रेमी भी यहां जैव विविधता को देखने के लिए पहुंचते हैं। जैव विविधता के इस खजाने को देखने हर साल देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। इसी क्रम में यहां स्थित मंडल घाटी में रुद्राक्ष के पेड़ भी लहलहाने लगे हैं। यह पर्यटकों के लिए एक नया तोहफा है. चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 15 किलोमीटर दूर मंडल से चोपता जंगल शुरू होता है। जिनमें बांज, बुरांस सहित अन्य प्रजातियों के पेड़-पौधे हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस क्षेत्र में रुद्राक्ष का जंगल तैयार करने की मुहिम रंग लाई है। वर्ष 2015 में मंडल क्षेत्र में रुद्राक्ष के पौधे रोपे गए। इन पौधों का लगातार संरक्षण किया गया और अब ये पौधे पेड़ के रूप में तैयार होकर फल देने लगे हैं। यात्री बांज-बुरांश के घने जंगल के साथ ही रुद्राक्ष के पेड़ों को देखने का भी लुत्फ उठा रहे हैं।

बाज़ार में रुद्राक्ष की कीमत

रुद्राक्ष के पौधे देहरादून नर्सरी से आते हैं. जबकि पर्यावरण शिक्षक मनोज तिवारी कलम तैयार कर पौधे तैयार करते हैं। नेपाल से आने वाली प्रजातियों के रुद्राक्ष के पौधे सर्वोत्तम माने जाते हैं। रुद्राक्ष के पौधे की बाजार कीमत तीन सौ से लेकर पांच सौ रुपये तक होती है. रुद्राक्ष की बाजार में कीमत भी हजारों में है. एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है और इसकी कीमत भी अमूल्य होती है। दोमुखी, तीनमुखी, पांचमुखी, 16मुखी तक रुद्राक्ष के फल होते हैं।

भारत में रुद्राक्ष कहां से मिलेगा?

रुद्राक्ष भारत के हिमालयी इलाकों में पाया जाता है। रुद्राक्ष असम, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष के पेड़ दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर तथा कर्नाटक में भी देखे जा सकते हैं। रुद्राक्ष रामेश्‍वरम में भी पाया जाता है।

भद्राक्ष को रुद्राक्ष के रूप में बेचा जाता है

रुद्राक्ष के समान ही एक और फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है और यह दिखने में रुद्राक्ष जैसा ही होता है इसलिए कुछ लोग इसे रुद्राक्ष की जगह नकली रुद्राक्ष कहकर बेचते हैं। माना जाता है कि भारत में बिकने वाले 80 प्रतिशत रुद्राक्ष नकली होते हैं और कटे हुए होते हैं।

रूद्राक्ष की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस को मारने के लिए महाघोर के रूप में अघोर अस्त्र का चिंतन किया। तभी उसकी आंखों से आंसुओं की कुछ बूंदें जमीन पर गिर पड़ीं. इन्हीं से रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है।

रुद्राक्ष एक मुखी से चौदह मुखी तक होता है

वैसे तो रुद्राक्ष मुख्य रूप से एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक पाए जाते हैं, लेकिन कहीं-कहीं बाईस मुखी रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं, जिन्हें धारण करने पर अलग-अलग फल मिलते हैं। अगर आकार के अनुसार देखा जाए तो चने के आकार का रुद्राक्ष हीन, बेर के आकार का मध्यम और आंवले के आकार का रुद्राक्ष धारण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना गया है। धारण करने के लिए रुद्राक्ष सदैव सुन्दर, सुडौल, चिकना, कांटेदार तथा प्राकृतिक छिद्रों वाला होना चाहिए। जो रुद्राक्ष टूटा हुआ और कृत्रिम छेद वाला हो, उसे नहीं पहनना चाहिए।

ये आध्यात्मिक है

रुद्राक्ष को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। शिव भक्त और ऋषि-मुनि रुद्राक्ष के ग्रहण को पवित्र मानते हैं। रात को सोते समय रुद्राक्ष को उतारकर रखना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राक्ष की पूजा और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष के दर्शन से करोड़ गुना पुण्य लाभ मिलता है, इसे छूने और धारण करने से करोड़ गुना पुण्य लाभ मिलता है और इसकी माला से मंत्र जप करने से करोड़ गुना पुण्य मिलता है।

एक मुखी रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ

रुद्राक्ष को हमेशा हृदय के पास धारण करना चाहिए, इससे हृदय रोग, हृदय की धड़कन और रक्तचाप जैसे रोगों में राहत मिलती है। एक मुखी रुद्राक्ष सभी रुद्राक्षों में सर्वोत्तम माना जाता है। महाभागवत पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति के घर में एक मुखी रुद्राक्ष होता है, उसके घर में सदैव लक्ष्मी का वास रहता है।

चोपता कैसे पहुँचें?

चोपता का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जॉलीग्रांट हवाई अड्डा दैनिक उड़ानों द्वारा दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चोपता मोटर योग्य सड़कों द्वारा जॉलीग्रांट हवाई अड्डे से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जौलीग्रांट हवाई अड्डे से चोपता तक टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।

चोपता का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश भारत के प्रमुख स्थलों से रेलवे नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश के लिए रेलगाड़ियाँ अक्सर आती रहती हैं। ऋषिकेश से श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, उखीमठ और चोपता तक टैक्सियाँ और बसें उपलब्ध हैं।

चोपता मोटर योग्य सड़कों द्वारा उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चोपता के लिए बसें और टैक्सियाँ उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों जैसे ऋषिकेश, पौरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, गौरीकुंड, श्रीनगर, गोपेश्वर आदि से आसानी से उपलब्ध हैं।


चोपता में कहां घूमें?

- तुंगनाथ

- देवरिया तालउत्तराखंड : उत्तराखंड के 'मिनी स्विट्जरलैंड' में पर्यटकों के लिए नई सौगात, प्रकृति व आध्‍यात्‍म का संगम देगा खास अहसास

- चंद्रशिला

- ऊखीमठ

- कांचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य

- मध्यमहेश्वर मंदिर

- रोहिणी बुग्याल

- दुगलबिट्टा

- ओंकार रत्नेश्वर महादेव

- सारी गांव

- कालीमठ मंदिर

- बिसुरिटल

- बनियाकुंड

इन दिनों मंडल घाटी में लगाए गए रुद्राक्ष के पौधों में रुद्राक्ष के फल लगे हैं। पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को इन रुद्राक्षों के पेड़ और फल भी देखने को मिल रहे हैं। रुद्राक्ष के वृक्षों के संरक्षण की मुहिम रंग लाई है। मंडल घाटी क्षेत्र में अब रुद्राक्ष के जंगल तैयार होंगे।

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