उत्तराखंड: पहाड़ों में मोबाइल ईसीएचएस शुरू करने की तैयारी, राज्य के दो लाख पूर्व सैनिकों को मिलेगा फायदा
सैन्य बहुल राज्य में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए देहरादून सहित विभिन्न जिलों में ईसीएचएस केंद्र स्थापित किये गये हैं। लेकिन, कुछ केंद्र दूरदराज के इलाकों में होने के कारण पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अब मोबाइल ईसीएचएस शुरू किया जाएगा।
राज्य के करीब दो लाख पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को उनके घर के पास ही मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की तैयारी है। इसके लिए पहाड़ में मोबाइल ईसीएचएस (एक्स सर्विसमैन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम) शुरू की जा सकती है। सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर अमृत लाल के अनुसार केंद्रीय सैनिक बोर्ड दिल्ली की बैठक में यह निर्णय लिया गया है.
पहाड़ में इस सुविधा से अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जिलों से पलायन रुकेगा. सैन्य बहुल राज्य में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए देहरादून सहित विभिन्न जिलों में ईसीएचएस केंद्र स्थापित किये गये हैं। लेकिन, कुछ केंद्र सुदूर इलाके में होने के कारण पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
खासकर वे पूर्व सैनिक केंद्र पर नहीं पहुंचते, जिनकी उम्र 80 साल या उससे अधिक है। सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ने बताया, इस साल अप्रैल में नई दिल्ली में हुई केंद्रीय सैनिक बोर्ड की बैठक में सैनिक कल्याण विभाग ने यह मुद्दा उठाया था.
बैठक में कहा गया कि उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है। जिनकी भौगोलिक स्थिति भिन्न-भिन्न है। ईसीएचएस के मानक एक समान होने के बाद भी पहाड़ समस्याओं से जूझ रहा है। कहा, बैठक के बाद केंद्रीय सैनिक बोर्ड की ओर से बैठक का विवरण जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया कि उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मोबाइल ईसीएचएस शुरू किया जाएगा।
ईसीएचएस में है दबाव देहरादून
पूरे देश में सेना मुख्यालय द्वारा ईसीएचएस के लिए एक समान मानक निर्धारित किए गए हैं। सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर अमृत लाल के मुताबिक, कम से कम 7,500 पूर्व सैनिकों की आबादी पर एक ईसीएचएस स्थापित किया जा सकता है, जबकि देहरादून जिले में 36,500 पूर्व सैनिक हैं। इसके अलावा उन पर बड़ी संख्या में आश्रित भी हैं.
ये है योजना
योजना के तहत भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सैनिकों और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के समय कुछ शुल्क अंशदान के रूप में जमा किया जाता है। इसके बाद उनका ECHS कार्ड बनाया जाता है. जिस पर उन्हें और उनके आश्रितों को जीवनभर निःशुल्क स्वास्थ्य देखभाल मिलती है। उन्हें ईसीएचएस सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की जाती है।
मैदानों में 40 से 45 किलोमीटर की दूरी कम समय में तय की जा सकती है, जबकि पहाड़ों में इसमें घंटों लग जाते हैं। इसके अलावा पहाड़ में ट्रांसपोर्ट की भी समस्या है. राज्य के पूर्व सैनिकों की इस समस्या को केंद्रीय सैनिक बोर्ड की बैठक में उठाया गया है, ताकि पूर्व सैनिकों को उनके घर के पास ही स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके . इसके लिए राज्य के पूर्व सैनिकों की इस समस्या को केंद्रीय सैन्य बोर्ड की बैठक में उठाया गया है.