11 वें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल में प्रख्यात साहित्यकार अवधेश सिंह को मिला “सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न अवार्ड”-2025

Update: 2025-10-04 11:13 GMT

नोएडा। एशियन एकेडमी आफ आर्ट एवं राइटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयास से मारवाह स्टूडियो के तत्वाधान में आयोजित “11 वें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल” में “सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न अवार्ड”-2025 प्रख्यात साहित्यकार अवधेश सिंह को साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान तथा लिटरेचर प्रमोशन के लिए दिया गया ।

विगत दिवस नोएडा में 24 से 26 सितंबर तक मारवाह स्टूडियो, फिल्म सिटी, नोएडा में आयोजित 11वें वैश्विक साहित्य महोत्सव नोएडा 2025 में साहित्य, कला और संस्कृति का एक शानदार तीन दिवसीय समारोह में देश विदेश से हजारों साहित्य कला संस्कृति से जुड़े प्रेमियों और विशेषज्ञों की अभूतपूर्व सहभागिता दर्ज हुई । ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल की यह 11 वीं कड़ी में, मारवाह स्टूडियो के संस्थापक डॉ. संदीप मारवाह के कुशल नेतृत्व में, यह महोत्सव विचारों, रचनात्मकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक संगम बन गया, जिसमें देश-विदेश के लेखक, कवि, राजनयिक, शिक्षाविद, कलाकार और साहित्य प्रेमी शामिल हुए।

इस क्रम में अलग अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुके अन्य साहित्यकार - लेखकों को भी क्रमशः पवन माथुर, प्रोफेसर डॉ. दिवाकर गोयल, अरविंद मिश्रा, डॉ. सविता चड्ढा, सूक्ष्म लता महाजन, डॉ. शैलबाला अग्रवाल, मीनाक्षी जोशी, सुभाष नीरव, ओम सप्रा और डॉ. अमित कौर पुरी को भी यह सम्मान प्रदान किया गया । एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के संस्थापक - चांसलर संदीप मारवाह और कार्लिटो नून्स, तिमोर-लेस्ते के राजदूत ने स्मृति चिन्ह, शाल तथा प्रमाणपत्र के साथ यह सम्मान प्रदान किया।

सम्मान अर्पण कार्यक्रम के पूर्व वर्तमान में साहित्य की चिंताओं पर विशेषज्ञों की सम्मति जानने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया । “साहित्य क्या है ? और जो लिखा जाता है क्या हम उसे साहित्य कह सकते हैं” इस विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मंचासीन प्रबुद्ध वक्ताओं में भारतीय सूचना सेवा से सेवानिवृत वरिष्ठ कवि लेखक अवधेश सिंह ने साहित्य को एक चश्मे से तुलना करते हुए कहा कि “जैसे चश्मे से हमें साफ दिखाई देता है वैसे ही साहित्य की पुस्तकों को पढ़ कर हमें सोच विचार की नई दृष्टि मिलती है” ।

आगे स्पष्ट किया कि ‘साहित्य की मौलिकता ही उसकी कसौटी है, जैसे कबीर दास के दोहे 600 साल पहले जीतने सामयिक थे आज भी वे दोहें समाज को दिशा दिखा रहें हैं” । इसी क्रम में अवधेश सिंह ने “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस” यानि कृतिम मेधा को साहित्य का शत्रु कहा । उन्होंने कहा कि “ए.आई द्वारा लिखा हुआ साहित्य नकल है जिसे आप नकलची बंदर के करतब से तुलना कर सकते हैं और इससे बच के रहना है” । अपनी लिखी पुस्तक “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस – मौलिकता पर सेंध” को दर्शकों श्रोताओं को दिखाते हुए, अवधेश सिंह ने जोर देते हुए कहा कि “आज इस मंच से वे ए.आई को नकलची बंदर और उसके उत्पादों को बंदर छाप या मंकी-ब्रांड का नया नाम दे रहे हैं” । इस सत्र में जाने-माने लेखकों, संपादकों और विचारकों ने भाग लिया, जिसमें प्रख्यात लेखक संजय चंद्रा, लेखिका और शिक्षाविद लक्ष्मी वल्लूरी, लेखक और दार्शनिक डॉ. पी.के. राजपूत, लेखक और डिजिटल उद्यमी करण पुरी प्रमुख हैं। इस अवसर पर चांसलर संदीप मारवाह के साथ वेनेज़ुएला के राजदूत, महामहिम कैपाया रोड्रिग्ज गोंजालेज ने अवधेश सिंह को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया ।

गौरतलब है कि निदेशक फेस्टिवल सुशील भारतीय के संयोजन तथा एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के संस्थापक के रूप में तमाम व्यावसायिक व्यस्तता के बावजूद भारतीय साहित्य- कला -संस्कृति के सर्वांगीण विकास के लिए पूर्ण समर्पित व्यक्ति संदीप मारवाह के कुशल नेतृत्व में एक दर्जन से अधिक देशों के राजदूत तथा सांस्कृतिक प्रतिनिधियों तथा इंस्टीट्यूट के छात्र छात्राओं तथा प्रोफेसरों की सहभागिता के कारण “मारवाह स्टूडियो का मंच” एक समृद्ध मंच बना जिसमें भारतीय साहित्य संस्कृति एवं कला के सभी विधाओं को गौरवपूर्ण ढंग के साथ प्रस्तुत किया गया ।


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