First Sawan Somwar: आज सावन के पहले सोमवार पर जरूर करें जलाभिषेक, इन मंत्रों के जाप से मिलेगा ये लाभ, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Update: 2025-07-14 02:30 GMT

नई दिल्ली। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से भगवान शिव को समर्पित पवित्र माह की शुरुआत हो जाती है। भगवान शिव को देवों के देव कहा जाता है। सावन के महीने में विशेषकर शिव पूजा की जाती है। इस माह भक्त अपने आराध्य भोलेनाथ की आराधना में लीन रहते हैं। यह वह समय है जिसमें माना जाता है कि शिव पूजा का विशेष फल भक्तों को मिलता है। इसी के साथ सावन में आने वाले प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्रियां अर्पित करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।

सावन का पहला सोमवार

दृक पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई से चुकी और इसका समापन 9 अगस्त को होगा। इस बार सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है।

जलाभिषेक का समय?

बता दें कि पूरे दिन शिव पूजन किया जा सकता है, लेकिन विशेष फल की प्राप्ति के लिए शुभ मुहूर्तों में जलाभिषेक करना उत्तम माना गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.11 से 04.52 बजे तक रहेगा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:59 से 12:55 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही प्रदोष काल भी जलाभिषेक के लिए यह शुभ माना जाता है।

सोमवार पूजा विधि?

- इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

- शिवलिंग की पूजा के लिए मंदिर जाएं या घर पर शिवलिंग स्थापित करके श्रद्धा और नियम से पूजन करें।

- शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से करें।

- इसके बाद बेलपत्र, सफेद पुष्प, धतूरा, आक, अक्षत और भस्म अर्पित करें।

- फिर भगवान शिव को सफेद मिठाई का भोग लगाएं और तीन बार ताली बजाते हुए उनका नाम स्मरण करें।

इन मंत्रों के साथ करें जलाभिषेक

1. ॐ नम: शिवाय।

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।

5. नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:

6. ॐ महेश्वराय नम:

7. ॐ कपर्दिने नम:

8. ॐ भैरवाय नम:

9. ॐ अघोराय नम:

10. ॐ ईशानाय नम:

सावन के सोमवार का महत्व

सावन सोमवार का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मसंयम और आध्यात्मिक साधना की प्रक्रिया भी है। यह व्रत नारी के लिए अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और दाम्पत्य सुख के लिए किया जाता है, वहीं पुरुषों के लिए यह शक्ति, शांति और आत्मिक उन्नति का माध्यम बनता है। यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं में अत्यंत लोकप्रिय है, जो योग्य वर की प्राप्ति के लिए श्रद्धा से यह व्रत करती हैं।

मान्यता है कि स्वयं पार्वती जी ने भी शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु कठोर तप किया था, जो इस व्रत का मूल प्रेरणास्त्रोत है। सावन सोमवार व्रत श्रद्धा, संयम और साधना का संगम है। इसमें केवल बाह्य आडंबर नहीं, अपितु अंतर की शुद्धि और आत्मा की उन्नति की कामना समाहित है। शिव तत्व को पाने के लिए यह श्रेष्ठ मार्ग है। जहां आस्था से आरंभ होता है और आत्मिक शांति पर समाप्त।

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