एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां रात में भोलेनाथ और माता पार्वती चौसर खेलकर करते हैं विश्राम, जानें क्या है शयन कक्ष की परंपरा

Update: 2025-12-17 02:30 GMT

खंडवा। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी यह मान्यता अत्यंत प्राचीन और अटूट है कि महादेव और माता पार्वती आज भी यहां विश्राम करने आते हैं। यह मध्य प्रदेश के खंडवा भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर स्थित है। यह ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां भगवान शिव की पूजा माता पार्वती के साथ की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहीं महादेव और माता पार्वती एक साथ चौसर खेलते हैं।

शयन आरती और चौसर

प्रतिदिन रात्रि में भगवान शिव की 'शयन आरती' की जाती है, जिसके बाद उनके विश्राम के लिए गर्भगृह में एक विशेष बिस्तर लगाया जाता है। मान्यता है कि शिव-पार्वती यहाँ रात में चौसर (पासे का खेल) खेलते हैं। मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं का दावा है कि जब सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो बिस्तर की चादर पर सिलवटें और चौसर के पासे अपनी जगह से हिले हुए या बिखरे हुए मिलते हैं, जैसे कि वहाँ कोई खेल रहा था।

शयन कक्ष की परंपरा

ओमकारेश्वर देश का इकलौता ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहाँ प्रतिदिन भगवान के विश्राम के लिए सजावट की जाती है और उनके खेलने के लिए पासे सजाकर रखे जाते हैं। यहाँ रात्रि में रुकने की अनुमति किसी को नहीं होती, लेकिन भक्तों का मानना है कि इस दिव्य स्थान पर महादेव की उपस्थिति का अनुभव अदृश्य रूप में होता है।

रात में यहां होती है गुप्त आरती

ओंकारेश्वर मंदिर में हर रात भगवान शिव और माता पार्वती विश्राम करने के लिए आते हैं। रात में यहां गुप्त शयन आरती की जाती है, जिसमें मंदिर का सिर्फ एक पुजारी मौजूद रहता है। इसके बाद यहां चौसर और पासे रखकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। सुबह मंदिर खोलने पर चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं।

परमार और मराठा राजाओं ने कराया निर्माण

वर्तमान में जैसा पांच मंजिला मंदिर दिखता है, प्राचीन समय में ऐसा नहीं था। मालवा के परमार राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का जिर्णोद्धार कराया था। इसके बाद मराठा राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण करवाकर इसे भव्य स्वरूप दिया था। 

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