उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता में किए गए बदलाव! जबरन या धोखाधड़ी से किसी व्यक्ति की सहमति प्राप्त कर सहवास संबंध स्थापित करता है, तो होगी सात साल तक की जेल
समान नागरिक संहिता की धारा 380(2) के अंर्तगत कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है, धोखे से लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे भी सात साल की सजा और जुर्माना देना होगा;
देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता में कुछ बदलाव किये जाएंगे। इसके तहत अब विवाह पंजीकरण की समय सीमा एक वर्ष होगी। सरकार ने समान नागरिक संहिता उत्तराखंड संशोधन अधिनियम 2025 को सदन में पेश किया है, जो आज पारित किया जाएगा।
पंजीकरण की समय सीमा बढ़ी
समान नागरिक संहिता में बदलाव के बाद 26 मार्च 2020 से अधिनियम लागू होने तक हुए विवाह पंजीकरण की समय सीमा को छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, समय सीमा समाप्त होने के बाद इसमें दंड अथवा जुर्माने का भी प्रावधान है। इसके अलावा सब-रजिस्ट्रार के सामने अपील के लिए शुल्क को भी निर्धारित किया गया है।
लिपिकीय त्रुटियों को ठीक किया गया है
इसके तहत समिति की ओर से कुछ लिपिकीय त्रुटियों जैसे दंड प्रक्रिया संहिता को बदल कर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किया गया है। कई स्थानों पर पैनल्टी को शुल्क लिखा गया है जिन्हें अब पैनल्टी लिखा जाएगा।
जबरन या धोखाधड़ी से सहवास संबंध पर सात साल की होगी जेल
समान नागरिक संहिता की धारा 387 की उपधाराओं को संशोधित करते हुए नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति जबरन या धोखाधड़ी से किसी व्यक्ति की सहमति प्राप्त कर सहवास संबंध स्थापित करता है तो उसे सात साल तक जेल होगी, इसके अलावा जुर्माना दंड के रुप में लिया जाएगा। जबकि समान नागरिक संहिता की धारा 380(2) के अंर्तगत कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है, धोखे से लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे भी सात साल की सजा और जुर्माना देना होगा। गौरतलब है कि यह प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने लिव-इन रिलेशन को समाप्त कर दिया है। जिनके साथी का सात साल तक कोई पता न हो। पहले की शादी को समाप्त किए बिना लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के अंर्तगत दंडित किया जाएगा।