शेख हसीना को मिली मौत की सजा? बांग्लादेश में फैसले से पहले तनाव, अदालत में आज आएगा बड़ा निर्णय
देश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) आज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे मानवता के खिलाफ अपराध मामले में अपना फैसला सुनाने जा रही है।;
बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आने वाला है। देश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) सोमवार 17 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे मामले में फैसला सुनाने जा रही है। इस फैसले से पहले पूरे देश में तनाव का माहौल है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर निगाहें टिकी हैं।
शेख हसीना पर पिछले साल ढाका में हुए विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने के पांच गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था, जिसके चलते सैकड़ों लोगों की जान गई थी। बताया जाता है कि इस मामले में हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और उस समय के आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून भी आरोपी हैं। दोनों को अदालत ने फरार घोषित कर दिया है।
शेख हसीना पिछले साल हुई हिंसा के बाद से भारत में शरण लिए हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, ढाका में हुई उस हिंसा में करीब 1400 लोग मारे गए थे, जबकि बांग्लादेश सरकार के मुताबिक 800 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और लगभग 14 हजार लोग घायल हुए थे। ICT के चीफ प्रॉसिक्यूटर मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि शेख हसीना “1400 मौतों की सजा की हकदार हैं” और कम से कम एक मौत की सजा की मांग की गई है।
इस मामले की सुनवाई 23 अक्टूबर को पूरी हुई थी जो 28 दिनों तक चली। इसमें 54 गवाहों ने गवाही दी। हसीना और अन्य आरोपियों पर हत्या, हत्या का प्रयास, टॉर्चर, भड़काऊ बयान देने और निहत्थे प्रदर्शनकारियों को गोली मारने जैसे आरोप लगे हैं।
फैसले से पहले पूरे बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण हैं। कई जगहों पर आगजनी और बम फेंके जाने की घटनाएं हुई हैं। राजधानी ढाका में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और ट्रिब्यूनल परिसर के आसपास सेना तैनात है। पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग ने शेख हसीना के ट्रायल के विरोध में देशव्यापी लॉकडाउन का आह्वान किया है। सुरक्षा के मद्देनज़र कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं और सार्वजनिक परिवहन भी प्रभावित हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई की मांग की है। अगर अदालत हसीना को मौत की सजा सुनाती है तो यह बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा फैसला माना जाएगा।