अस्पतालों में आपात स्थिति में आए मरीज का तत्काल करें उपचार, एडवांस पेमेंट मांगी तो लगेगा जुर्माना... सरकार का सख्त आदेश

हर अस्पताल को मुफ्त मेडिकल स्क्रीनिंग, फर्स्ट-एड और आवश्यक उपचार प्रदान करना अनिवार्य है, ताकि मरीज की स्थिति में सुधार हो सके।;

Update: 2025-09-04 08:49 GMT

बेंगलूरू। कर्नाटक सरकार ने सभी चिकित्सा संस्थानों और डॉक्टरों को याद दिलाते हुए कहा है कि वे किसी भी दुर्घटना पीड़ित का तुरंत उपचार करें और उनसे किसी भी प्रकार का एडवांस पेमेंट की मांग पहले ही ना करें। एक सरकारी आदेश में यह निर्देश दिया गया। साथ ही इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर कड़ा जुर्माना लगाया जाएगा।

सभी तरह की दुर्घटनाएं शामिल

कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 के तहत, दुर्घटना पीड़ित की परिभाषा केवल सड़क हादसों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जलने, जहर खाने या आपराधिक हमलों जैसी स्थितियां भी शामिल हैं।

आवश्यक उपचार प्रदान करना जरूरी

सरकार ने कर्नाटक गुड समेरिटन एंड मेडिकल प्रोफेशनल एक्ट, 2016 का भी हवाला देते हुए कहा कि हर अस्पताल को मुफ्त मेडिकल स्क्रीनिंग, फर्स्ट-एड और आवश्यक उपचार प्रदान करना अनिवार्य है, ताकि मरीज की स्थिति में सुधार हो सके। अगर किसी अस्पताल में इलाज की सुविधाएं नहीं हैं, तो उसे पहले मरीज को स्थिर करना होगा और फिर दूसरी जगह रेफर करना होगा, साथ ही चिकित्सा दस्तावेज भी देना होगा।

नियम के उल्लंघन पर जुर्माना

साथ ही आदेश में कहा गया है कि जब भी कोई ऐसा दुर्घटना पीड़ित अस्पताल में आता है या लाया जाता है, तो उसका आपात स्थिति में तत्काल उपचार किया जाना चाहिए अग्रिम भुगतान की मांग नहीं की जानी चाहिए। अगर कोई अस्पताल इस नियम का उल्लंघन करता है, तो धारा 19 (5) के तहत उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाए।

हादसा पीड़ित को सात दिनों तक मिलेगी नकदी रहित चिकित्सा सुविधा

जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने बताया कि सड़क हादसा पीड़ितों के लिए नकदी रहित (कैशलेश) उपचार योजना, 2025 के तहत अब हर सड़क हादसे के पीड़ित को 1.5 लाख रुपये तक की नकदी रहित चिकित्सा सुविधा सात दिनों तक दी जाएगी। इस खर्च की भरपाई मोटर वाहन दुर्घटना फंड से की जाएगी।

सरकार पहले से ही चला रही 48 घंटे तक की नकदी रहित चिकित्सा योजना

बता दें कि सरकार पहले से ही 48 घंटे तक की नकदी रहित चिकित्सा योजना चला रही है, जिसमें सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और एसएएसटी सूचीबद्ध अस्पतालों में 76 जीवन रक्षक सेवाएं कवर की गई हैं।

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