गुजरात के इस गांव में नहीं है किचन, महिलाएं नहीं बनाती भोजन, जानें कैसे खाना खाते हैं लोग...

इस गांव में आने वाले मेहमान खाने का लुत्फ लेने के साथ ही गांव की संस्कृति और एकता का अनुभव भी करते हैं।;

Update: 2025-12-18 16:00 GMT

नई दिल्ली। सदियों से भारत के गांव अपनी सादगी और परंपराओं के लिए जाना जाता है। समय बदलने के साथ सुविधाएं बढ़ गई हैं, लेकिन आज भी कुछ गांव अपनी अनूठी परंपराओं से सबका ध्यान आकर्षित करते हैं। रसोई की जगह घर में खास होता है। यह ऐसा स्थान होता है जहां परिवार के लिए भोजन तैयार किया जाता है। लेकिन एक ऐसा गांव भी है, जहां हर घर में रसोई तो है, लेकिन वहां पर महिलाएं या पुरुष खाना नहीं बनाते हैं। वहां को लोग बिना चुल्हा जलाए ही अपने परिवार का भरण- पोषण करते हैं।

इस परंपरा की शुरुआत हुई

जानकारी के अनुसार, सालों पहले जब गांव के युवा शहरों और विदेशों में बसने लगे तो गांव में बुजुर्गों की संख्या बढ़ गई। हर घर के लिए अलग-अलग खाना बनाना मुश्किल हो गया। इसलिए सब लोगों ने मिलकर खाना बनाना और एक साथ खाना शुरू कर दिया। समय के साथ ही यह परंपरा गांव की पहचान में बदल गई। आज भी करीब 100 गांव वाले रोज खाना पकाने की जिम्मेदारी आपस में बांटते हैं। किसी पर अधिक बोझ न पड़े, इस तरीके से यह सोचकर दाल, सब्जी और रोटी सब मिलकर बनाते हैं। वहीं खास मौकों पर भी खास व्यंजन मिलकर बनाते हैं।

चदंकी गांव पर्यटकों के बीच बना खास

गौरतलब है कि चंदंकी का सामुदायिक किचन अब पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां आने वाले मेहमान खाने का लुत्फ लेने के साथ ही गांव की संस्कृति, एकता और सहअस्तित्व का अनुभव भी करते हैं। चंदंकी गांव में कोई अकेला नहीं रहता है।

Tags:    

Similar News