मोहन भागवत ने कहा कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी तीसरे विश्वयुद्ध जैसी स्थिति आज दिखाई देती है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं स्थायी शांति स्थापित नहीं कर पाईं।