दरअसल, जिन मतदाताओं के नाम राज्यों की पिछली एसआइआर के बाद तैयार मतदाता सूची में शामिल हैं, उन्हें जन्मतिथि या जन्मस्थान साबित करने के लिए नए कागज नहीं देने होंगे।