सिद्धू ने कहा कि जिस तरह आग के गोलों को कोई खा नहीं सकता, पर्वत हिमालय को हिला नहीं सकता।उसी तरह सिद्धू की आवाज को कायनात तक कोई नहीं दबा सकता।