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भारत के सुझाव पर बांग्लादेश में नाराज़गी, मोहम्मद यूनुस के देश ने किया कड़ा विरोध

भारत द्वारा बांग्लादेश के आगामी आम चुनावों पर दिए गए सुझावों ने पड़ोसी देश में विवाद पैदा कर दिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को विदेश सचिव विक्रम मिसरी के बयान को अनुचित बताया और इसे अपने आंतरिक मामलों में दखल समझा।
विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा, “यह पूरी तरह से बांग्लादेश का आंतरिक मामला है। भारत जैसी किसी बाहरी शक्ति की टिप्पणियां अनुचित हैं।’’ मिसरी के हालिया बयान में कहा गया था कि भारत बांग्लादेश में जल्द से जल्द स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराने का पक्षधर है और वह जनता द्वारा चुनी गई किसी भी सरकार के साथ काम करने के लिए तैयार है।
विश्लेषकों के अनुसार, ढाका में छात्र आंदोलन के बाद अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिर गई थी और हसीना भारत चली गई थीं। इसके बाद से ढाका-नई दिल्ली संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। मिसरी का आह्वान ‘समावेशी और सहभागी’ चुनाव कराने के लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जबकि अवामी लीग के कई नेता जेल में हैं या देश छोड़कर चले गए हैं।
पिछले महीने बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) को लॉक कर दिया था, जिससे वह अगले वर्ष फरवरी में होने वाले आम चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगी। चुनाव आयोग के सचिव अख्तर अहमद ने कहा कि जिन लोगों के एनआईडी लॉक हैं, वे विदेश से मतदान नहीं कर सकते। समाचार एजेंसियों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हसीना की छोटी बहन शेख रेहाना, बेटे सजीब वाजेद जॉय और बेटी साईमा वाजेद पुतुल के एनआईडी भी लॉक कर दिए गए हैं।
इस घटनाक्रम से बांग्लादेश में भारत के प्रति नाराज़गी और राजनीतिक बहस बढ़ गई है, जबकि भारत ने अपनी स्थिति को केवल लोकतांत्रिक और निष्पक्ष चुनावों के समर्थन तक सीमित रखा है।