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चंद्रयान-2 से आई नई खुशखबरी: इसरो ने साझा किया चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों का उन्नत डेटा

भारत के चंद्र अभियान चंद्रयान-2 से एक और अच्छी खबर सामने आई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को बताया कि उसने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों की गहन जानकारी जुटाने में बड़ी प्रगति की है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन के ‘ऑर्बिटर’ से प्राप्त उन्नत आंकड़ों ने चंद्रमा की सतह के भौतिक और परावैद्युत (dielectric) गुणों को समझने में अहम भूमिका निभाई है। एजेंसी का कहना है कि यह जानकारी भविष्य में चंद्रमा पर होने वाले अनुसंधान अभियानों के लिए भारत का एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगी।
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से चंद्रमा की कक्षा में लगातार कार्यरत है और उच्च गुणवत्ता वाला डेटा भेज रहा है। इसमें मौजूद ‘डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार’ (DFSAR) ऐसा पहला उपकरण है, जिसने एल-बैंड का उपयोग करते हुए पूर्ण-ध्रुवमितीय मोड में चंद्रमा का 25 मीटर प्रति पिक्सेल के रिजोल्यूशन पर मानचित्रण किया है।
यह रडार तकनीक ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दोनों दिशाओं में सिग्नल प्रसारित और ग्रहण करने में सक्षम है, जिससे यह चंद्र सतह की विशेषताओं के अध्ययन के लिए अत्यंत उपयोगी बन जाती है। इसरो ने बताया कि मिशन की शुरुआत से अब तक चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्रों (80° से 90° अक्षांश) से लगभग 1,400 रडार डेटा सेट एकत्र और प्रोसेस किए जा चुके हैं।
अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) के वैज्ञानिकों ने इन आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए नए एल्गोरिदम विकसित किए हैं। इन एल्गोरिदम से पानी-बर्फ की संभावित उपस्थिति, सतह की खुरदरी बनावट और ‘परावैद्युत स्थिरांक’ जैसे महत्वपूर्ण भौतिक गुणों का अध्ययन किया गया है। यह परावैद्युत स्थिरांक चंद्र सतह के घनत्व और छिद्रता जैसी विशेषताओं को समझने में अहम भूमिका निभाता है।
इसरो के अनुसार, इन एल्गोरिदम को पूरी तरह से स्वदेशी रूप से तैयार किया गया है। यह डेटा चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के बारे में प्राथमिक और सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है। एजेंसी का मानना है कि इन क्षेत्रों में सौरमंडल की प्रारंभिक रासायनिक संरचना अब भी संरक्षित हो सकती है, जो ग्रहों के विकास से जुड़ी कई पहेलियों को सुलझाने में मदद करेगी।
इसरो ने बताया कि चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों पर केंद्रित इस प्रकार के डेटा एल्गोरिदम की हमेशा से मांग रही है। यह भविष्य के चंद्र अभियानों में इन क्षेत्रों की सतह और उपसतह की विस्तृत समझ प्रदान करेंगे। एजेंसी ने कहा कि ये एल्गोरिदम ‘हाइपरस्पेक्ट्रल डेटा’ के पूरक के रूप में कार्य करेंगे और चंद्रमा पर खनिज वितरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
इसरो ने यह भी बताया कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त उन्नत डेटा के आधार पर तैयार ध्रुवीय मानचित्र (स्तर 3C) अब उपयोगकर्ताओं के लिए जारी कर दिए गए हैं। ये मानचित्र भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा केंद्र (ISSDC) की आधिकारिक वेबसाइट पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।




