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SIR विवाद पर मुख्य चुनाव आयुक्त का विपक्ष को दो टूक! कहा- वोट चोरी का आरोप संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है...

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने आज नेशनल मीडिया सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा ने वोट चोरी के आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार, हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है।बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की
बता दें कि उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को, जिसने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है, मतदाता के रूप में नामांकन कराना चाहिए और अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।वहीं उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं। पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है।
बेबुनियाद आरोपों से चुनाव आयोग डरने वाला नहीं
बता दें कि मुख्य चुनाव आयोग ने कहा कि यह संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है। कुछ लोगों ने ऐसे ही बेबुनियाद आरोप लगाए। अगर सही समय पर त्रुटि हटाने का आवेदन न किया जाए और वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह किया जाए तो यह तो गलत है। जब उनसे सबूत मांगे गए तो जवाब नहीं दिया गया। ऐसे बेबुनियाद आरोपों से चुनाव आयोग डरने वाला नहीं है। वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ऐसे में हम साफ कर देते हैं कि चुनाव आयोग बिना किसी डर के गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा समेत सभी धर्मों-वर्गों के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।
1.6 लाख BLA ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की
SIR की प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख BLA ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से सदैव खुले हैं। जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनीतिक दल और सभी बूथ स्तरीय अधिकारी मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। सत्यापन कर रहे हैं। हस्ताक्षर कर रहे हैं। वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं।
सात करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं
हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि जब बिहार के सात करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं, तो न तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर और न ही मतदाताओं की विश्वसनीयता पर कोई प्रश्नचिह्न लगाया जा सकता है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनकी ओर से नामित बीएलओ के ये सत्यापित दस्तावेज, प्रशंसापत्र या तो उनके अपने राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। सच्चाई यह है कि कदम दर कदम सभी पक्ष बिहार के एसआईआर को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध, प्रयासरत और मेहनत कर रहे हैं।