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निष्पक्ष रहकर भी कुछ कहूं तो… शशि थरूर ने कांग्रेसियों पर ही साधा निशाना, दी सहयोग की सीख

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और थिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को नसीहत दे डाली। अमृता न्यूज के एक कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि सिर्फ “विचार की शुद्धता” से न तो देश चलता है और न ही चुनाव जीते जा सकते हैं। राजनीति में जीत के लिए अलग-अलग सोच वाले लोगों के साथ मिलकर काम करना जरूरी है।
शशि थरूर ने कहा, “आज की राजनीति यह मांग करती है कि हर कोई अपने विचारों में 100% शुद्धतावादी दिखे। नतीजा यह है कि हम दूसरी तरफ की कोई अच्छाई नहीं देख पाते और न ही उनसे बात करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “लोगों को सिर्फ विचारों की शुद्धता में दिलचस्पी है, लेकिन इस तरह काम नहीं चल सकता। किसी ने चुनाव जीता है, सरकार बनाई है। अगर आपका राज्य केंद्र के साथ सहयोग नहीं करेगा तो आप कुछ कर कैसे पाएंगे?”
केरल के लोगों को संबोधित करते हुए थरूर ने बेबाकी से कहा, “हां, मैं सत्तारूढ़ पार्टी से सहमत नहीं हूं, लेकिन उन्होंने जनादेश हासिल किया है। अगर वे कोई ऐसी योजना लाते हैं जिससे केरल को पैसा मिले, तो मैं अपने सिद्धांतों के दायरे में रहते हुए भी उसके लिए बात करूंगा ताकि अपने राज्य के लिए फंड ला सकूं। यह सहयोग जरूरी है।”
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि हाल ही में एक महत्वपूर्ण स्कीम को सिर्फ राजनीतिक कारणों से रिजेक्ट कर दिया गया, जबकि केरल के स्कूलों को उसकी सख्त जरूरत थी। थरूर ने इसे “पागलपन” करार दिया और कहा, “यह टैक्सपेयर्स का पैसा है, केरल के लोगों का हक है।”
पिछले हफ्ते का विवाद फिर याद दिलाया
थरूर ने उस विवाद का भी जिक्र किया जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रामनाथ गोयनका लेक्चर की न्यूट्रल टिप्पणी की थी। सिर्फ भाषण की तारीफ किए बिना भी उन पर “मोदी की तारीफ करने” का आरोप लगा। उन्होंने कहा, “मैंने तारीफ का एक शब्द भी नहीं कहा था, बस भाषण के बारे में बताया था। लेकिन हमारे देश में आज ऐसा ही माहौल है।”
उन्होंने हाल ही में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और न्यूयॉर्क के नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी की मुलाकात को भी उदाहरण दिया और कहा कि चुनावी दुश्मनी के बाद भी परिपक्व व्यवहार यही होता है।
थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस के अंदर ही “कट्टर विपक्ष” और “सहयोगी रुख” को लेकर बहस चल रही है। कई लोग इसे पार्टी के भीतर शशि थरूर का अप्रत्यक्ष रूप से अपने साथियों को आईना दिखाने की कोशिश मान रहे हैं।




