Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

National Doctor's Day: चिकित्सकों का ध्यान कौन रखेगा ? जान बचाने से पहले दे रहे हैं अपनी जान! NMC के आरटीआई डेटा से खुलासा

Aryan
1 July 2025 1:50 PM IST
National Doctors Day:  चिकित्सकों का ध्यान कौन रखेगा ? जान बचाने से पहले दे रहे हैं अपनी जान! NMC के आरटीआई डेटा से खुलासा
x
इस साल की थीम भी इसी पर आधारित है, 'बिहाइंड द मास्क-केयरिंग फॉर केयरगिवर्स'।

नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। जब भी बीमारियों की बात होती है तो इससे निजात दिलाने के लिए डॉक्टर्स की टीम मजबूती से खड़ी रहती है। चिकित्सा को नोबेल पेशे के रूप में जाना जाता है और चिकित्सकों को समाज में भगवान का दर्जा दिया गया है।

चिकित्सकों को हमारे समाज का सुपरहीरो भी कहा जाता है, कोरोना महामारी से लेकर किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य संकट में डॉक्टर्स समाज के लिए हमेशा ढाल बनकर खड़े रहे हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कठिन से कठिन बीमारियों में रक्षक बनने वाले चिकित्सक कितने स्वस्थ हैं?

वर्ल्ड डॉक्टर्स डे, एक दिन खास डॉक्टर्स के लिए। डॉक्टर्स की टीम तो हर समय मरीजों की सेवा में लगी रहती है पर हमें स्वस्थ रखने वालों की सेहत का ध्यान कौन रखेगा? इस साल की थीम भी इसी पर आधारित है, 'बिहाइंड द मास्क-केयरिंग फॉर केयरगिवर्स'।

डॉक्टर्स और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

पूरे भारत में, लाखों डॉक्टर्स, जूनियर मेडिकल पेशेवर, लगातार घंटों काम के, बढ़ते दबाव में भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहे हैं।

लेकिन हम में से शायद ही किसी का ध्यान कभी इस तरफ जाता हो...गौरतलब है राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के आरटीआई डेटा के अनुसार, 2018 से 2023 के बीच भारत में 119 मेडिकल छात्रों ने आत्महत्या की, उनमें से 58 स्नातकोत्तर छात्र थे। इसका मतलब कि हर 15 दिन में एक आत्महत्या होती है।

आत्महत्या के बढ़ते मामले

साल 2024 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 3 में से 1 स्नातकोत्तर मेडिकल छात्र ने आत्महत्या के विचारों का अनुभव किया था। 10% से अधिक ने योजना बनाई और करीब 5% ने पिछले वर्ष आत्महत्या का प्रयास किया था। जून 2025 में रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा अपना जीवन समाप्त करने की कई रिपोर्ट देखी गईं। ये अक्सर हॉस्टल के कमरों में पाए गए, बाद में सदमे में परिवार चले जाते हैं।

आंकड़ों के पीछे कई दर्दनाक कहानियां छिपी होती हैं- युवा डॉक्टरों को बिना आराम के 36-36 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ती है, इन सब प्रयासों के बावजूद कई बार वह हिंसा के भी शिकार होते हैं।

Next Story