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NGT में बढ़ रहा संकट: खाली पद जल्द न भरे गए तो बंद हो सकती है कार्यवाही, वकीलों ने SC से लगाई गुहार

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों के लगातार खाली पड़े पदों ने अब प्रणालीगत संकट का रूप ले लिया है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि एनजीटी की प्रधान पीठ की बार एसोसिएशन को उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है। एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दे, ताकि अधिकरण की कार्यवाही ठप होने से बच सके।
याचिका में स्पष्ट कहा गया है कि एनजीटी अधिनियम की धारा 4(1) के अनुसार अधिकरण में कम से कम दस न्यायिक और दस विशेषज्ञ सदस्य होना आवश्यक है। इसके बावजूद वर्तमान में केवल चार न्यायिक और छह विशेषज्ञ सदस्य ही कार्यरत हैं। एसोसिएशन का कहना है कि रिक्तियों की बढ़ती संख्या और नियुक्तियों में हो रही देरी के कारण एनजीटी का कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
स्थिति यह है कि अनिवार्य कोरम तक पूरा नहीं हो पा रहा है और कई मामलों में पीठ का गठन केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करना पड़ रहा है, जिससे पर्यावरण संबंधी संवेदनशील मामलों में पक्षकारों को असुविधा झेलनी पड़ती है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में संकट और बढ़ सकता है क्योंकि वर्तमान में कार्यरत दो विशेषज्ञ सदस्य भी जल्द सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इससे न केवल कोरम पूरा करना मुश्किल होगा बल्कि कई महत्वपूर्ण पर्यावरण मामलों की सुनवाई पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उन पूर्व आदेशों का भी उल्लेख किया है, जिनमें कहा गया था कि अधिकरणों की संतुलित संरचना न्यायिक कार्यवाही को प्रभावी बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। वर्ष 2023 और 2025 के उन आदेशों का भी जिक्र किया गया है जिनके तहत न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया गया था।
याचिका में यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार ने 2 अगस्त 2025 को दो न्यायिक और चार विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति की थी। लेकिन अब तक केवल चार विशेषज्ञ सदस्य ही कार्यभार संभाल पाए हैं, जबकि न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति अभी भी लंबित है। ऐसे में मौजूदा संकट और भी गहराता जा रहा है।
एनजीटी को पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैधानिक संस्था बताते हुए एसोसिएशन ने कहा कि यदि सदस्यों की नियुक्ति समय पर नहीं हुई, तो अधिकरण की कार्यवाही लगभग बंद होने की स्थिति में आ जाएगी। इससे पर्यावरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण मसलों की सुनवाई प्रभावित होगी और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ेगा।
इसीलिए बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार को जल्द से जल्द सभी खाली पद भरने का निर्देश दे, ताकि एनजीटी की सुचारू कार्यप्रणाली कायम रह सके और पर्यावरणीय मामलों की सुनवाई निर्बाध रूप से जारी रहे।




