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'युद्ध कोई बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्म नहीं...’ भारत-पाक सीजफायर पर बोले पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे

नई दिल्ली। भारतीय थल सेना के पूर्व प्रमुख रिटायर्ड जनरल मनोज नरवणे ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम पर सवाल उठाने और पाकिस्तान के खिलाफ बड़े पैमाने पर लड़ाई छेड़ने की वकालत करने वालों की आलोचना की है। पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि युद्ध कोई रोमांटिक फिल्म नहीं है। नरवणे ने रविवार को पुणे में एक कार्यक्रम में कहा कि अगर उन्हें आदेश मिलता तो वे युद्धभूमि में जाते, लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए मुद्दा हल करना होता।
पीढ़ी दर पीढ़ी रहेगा सदमा
पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे ने इंस्टीट्यूट ऑफ कोस्ट अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में कहा कि लड़ाई के चलते सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सदमे में हैं। खासकर बच्चे, जिन्हें बमबारी की वजह से रातें बंकरों में बितानी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि लड़ाई में अपनों को खोने वालों का सदमा पीढ़ी दर पीढ़ी रहेगा। पीटीएसडी (पोस्ट ट्रोमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) से पीड़ित लोग 20 साल बाद भी घबराहट और चिंता का शिकार रहते हैं। ऐसे लोगों को अक्सर मनोचिकित्सक की मदद लेनी पड़ती है।
युद्ध कोई फिल्म नहीं...
मनोज नरवणे ने कहा, 'युद्ध कोई बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्म नहीं है। यह गंभीर मामला है। युद्ध या हिंसा सबसे अंतिम विकल्प होना चाहिए। यही वजह है कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह दौर युद्ध का दौर नहीं है। हालांकि कुछ बेवकूफ लोगों द्वारा हमारे ऊपर लड़ाई थोपी जाएगी, लेकिन हमें इसका जश्न नहीं मनाना चाहिए।
अभी भी लोगों का मानना है कि बड़ी लड़ाई होनी चाहिए। एक सैनिक होने के नाते, अगर मुझे आदेश मिलेगा, तो मैं लड़ाई लड़ूंगा, लेकिन यह मेरी पहली पसंद नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उनकी पहली पसंद कूटनीति है, जिसमें मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल किया जाता है ताकि युद्ध की जरूरत ही न पड़े।