देवप्रभा प्रकाशन के ’कविता अविराम-8’ काव्य संग्रह का लोकार्पण, देश की 37 कवयित्रियों सहित 46 विभूतियां सम्मानित
कवयित्री सम्मेलन में कवयित्रियों ने बिखेरे कविताओं के इंद्रधनुषी रंग;
गाजियाबाद। मोहन नगर स्थित आईटीएस सभागार में देवप्रभा प्रकाशन ने कवयित्रियों की कविताओं के साझा काव्य संग्रह कविता अविराम-8 का लोकार्पण एवं देश की 37 कवयित्रियों सहित 46 विभूतियों का सम्मान समारोह आयोजित किया। इसके साथ ही हुए कवयित्री सम्मेलन में कवयित्रियों ने अपने काव्य पाठ से मनमोहक इंद्रधनुषी रंग बिखेरे। समारोह की अध्यक्षता देश की प्रख्यात महाकवयित्री डॉ. मधु चतुर्वेदी ने की। एसोचैम उत्तर प्रदेश की टैक्सेशन कमेटी के चेयरमैन डॉ. पी. कुमार मुख्य अतिथि तो रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर बुलंदशहर के चेयरमैन सीएल बरेजा अति विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे। सुविख्यात कवयित्री डॉ. रमा सिंह, गांधर्व संगीत महाविद्यालय की निदेशिका डॉ. तारा गुप्ता, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा नई दिल्ली की सहायक निदेशिका डॉ. चेतना वशिष्ठ, सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ. राकेश सक्सेना, सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. तूलिका सेठ एवं आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक गंगाराम जी बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। कुशल संचालन सुप्रसिद्ध कवयित्री कुसुम लता पुंडोरा कुसुम ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। ज्योति किरण राठौर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। देवप्रभा प्रकाशन की ओर से प्रकाशक डॉ. चेतन आनंद ने शॉल, मोतियों की माला और स्मृति चिह्न, प्रमाण पत्र आदि देकर सभी अतिथियों का सम्मान किया। प्रकाशक की ओर से संग्रह में शामिल सभी कवयित्रियों को ‘देवप्रभा साहित्य गौरव सम्मान-2025’ से सम्मानित किया गया। सभी को शॉल, स्मृति चिह्न, मोतियों की माला और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कविता मनुष्यता को जन्म देती है
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. मधु चतुर्वेदी ने कहा कि देवप्रभा प्रकाशन का यह आयोजन प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि भौतिक होना सबसे बड़ी बात है, हमने लकड़ी, पत्थर व पानी को नहीं जाना तो कुछ नहीं जाना। मुझे सरल भाषा में बोलना है। लेकिन, सरल बोलना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि हमारा नामकरण हमारे काम के आधार होना चाहिए, जो हमारा नाम पैदा होने पर रखा जाता है वह हमारा नाम नहीं होता, वह किसी और का नाम होता है, जिसको लेकर हम जीवन भर चलते हैं। मुख्य अतिथि डॉ. पी कुमार ने कहा कि कविता मनुष्यता को जन्म देती है। कविता से सकारात्मक समाज की रचना होती है। उन्होंने इस मौके पर अपनी कविता के अलावा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के महाकाव्य रश्मिरथी का कुछ अंश भी सुनाया। रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर बुलंदशहर के चेयरमैन सीएल बरेजा ने कहा कि कई सालों से समाज के कर्णधारों ने हिंदी भाषा को उचित स्थान नहीं दिया है। लेकिन, 70 साल बाद अब वह समय आ गया है, जब हिंदी को उसका असली दर्जा मिल रहा है और हिंदी को सम्मान दिया जा रहा है। कार्यक्रम के अंत में देवप्रभा प्रकाशन की ओर से चेतन आनंद ने सभी आमंत्रित अतिथियों और रचनाकारों का आभार व्यक्त किया।
इन्हें मिला देवप्रभा साहित्य गौरव सम्मान
डॉ. रमा सिंह, डॉ. मधु चतुर्वेदी, डॉ. सुनीता सक्सेना, डॉ. चेतना वशिष्ठ, पूनम सागर, कुसुम लता पुंडोरा कुसुम, अंजलि चड्ढा भारद्वाज, रजनीश गोयल, सिद्धि डोभाल सागरिका, आशा भट्ट, ज्योति बिष्ट जिज्ञासा, गरिमा आर्य, ज्योति किरण राठौर, नीलम डिमरी, पूजा श्रीवास्तव, विमला राणा, अनुराधा राणा, दीपिका वाल्दिया, नितिका कंडारी, शिखा खुराना कुमुदिनी, सुनीला नारंग बहुरंगी, संगीता चमोली इंदुजा, वर्णी पाल निर्झरा, डॉ. सुरुचि सैनी सुरू, डॉ. सरिता गर्ग सरि, अर्चना झा, संगीता वर्मा, अर्चना गुप्ता, अर्चना मेहता, मंजुलता गोला मंजुल, सीमा सागर शर्मा, रजनी बाला, बारती शर्मा, सीमा शर्मा मंजरी, मधु शर्मा मधुर, राजरानी भल्ला और विजय ल़क्ष्मी।