पश्चिम बंगाल में दो आत्महत्या के बाद SIR को लेकर भड़कीं CM ममता बनर्जी, BJP ने दिया जवाब
यह राज्य में एसआईआर से जुड़ी कथित आत्महत्या का तीसरा मामला है। इससे पहले कूचबिहार में एक व्यक्ति ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था, जबकि उत्तर 24 परगना जिले में एक अन्य व्यक्ति ने जान दे दी थी।;
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। बीरभूम जिले में एक 95 वर्षीय बुजुर्ग की आत्महत्या के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है।
बुजुर्ग के परिवार का दावा है कि वे एसआईआर प्रक्रिया से डर के कारण तनाव में थे। मृतक की पोती ने बताया कि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था, जिससे वे चिंतित थे कि कहीं उन्हें “बांग्लादेश न भेज दिया जाए।”
यह राज्य में एसआईआर से जुड़ी कथित आत्महत्या का तीसरा मामला है। इससे पहले कूचबिहार में एक व्यक्ति ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था, जबकि उत्तर 24 परगना जिले में एक अन्य व्यक्ति ने जान दे दी थी।
ममता बनर्जी ने भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन घटनाओं को भाजपा की “भय और विभाजन की राजनीति” का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया भाजपा के दबाव में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई है, जिससे जनता में डर फैल रहा है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की, “कृपया किसी भी तरह के डर या अफवाह में न आएं। अपनी जान की कीमत पर किसी को राजनीतिक फायदा न उठाने दें।”
ममता ने उदाहरण देते हुए बताया —
27 अक्टूबर: उत्तर 24 परगना के खरदाहा निवासी 57 वर्षीय व्यक्ति ने आत्महत्या की और नोट में लिखा, “एनआरसी मेरी मौत के लिए जिम्मेदार है।”
28 अक्टूबर: कूचबिहार के दिनहाटा में 63 वर्षीय व्यक्ति ने एसआईआर प्रक्रिया के डर से आत्महत्या का प्रयास किया।
29 अक्टूबर: पश्चिम मेदिनीपुर के कोतवाली निवासी 95 वर्षीय बुजुर्ग, जो बीरभूम के इलमबाजार में रह रहे थे, ने भयवश अपनी जान दे दी।
ममता ने सवाल उठाया — “इन टाले जा सकने वाली, राजनीतिक रूप से भड़काई गई त्रासदियों का जवाब कौन देगा? क्या गृह मंत्री जिम्मेदारी लेंगे?”
भाजपा ने पलटवार किया
भाजपा ने ममता के आरोपों को “झूठ और दहशत फैलाने की कोशिश” बताया।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा, “ममता बनर्जी बेवजह लोगों में डर पैदा कर रही हैं। बीरभूम के बुजुर्ग की मौत एसआईआर से नहीं, बल्कि निजी या आर्थिक कारणों से हुई है।”
भाजपा की राष्ट्रीय आईटी इकाई के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि बुजुर्ग को डरने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि सीएए के तहत उन्हें नागरिकता की पूरी गारंटी थी।
उन्होंने कहा, “95 वर्षीय व्यक्ति, जो जन्म से भारतीय थे, एसआईआर के नाम पर क्यों डरेंगे? अगर किसी भी वजह से उन्हें विभाजन के बाद भारत आना पड़ा होता, तब भी एक हिंदू के रूप में वे सीएए के तहत भारतीय नागरिकता के पात्र थे।”
मालवीय ने यह भी आरोप लगाया कि मृतक इलमबाजार में रहते थे, जो टीएमसी का गढ़ है, और वहां स्थानीय नेताओं द्वारा उत्पीड़न की घटनाएं आम हैं।
बढ़ता विवाद और चुनावी सियासत
तीन दिनों में दो आत्महत्याएं और एक आत्महत्या का प्रयास अब राज्य में NRC और CAA विवाद को फिर से केंद्र में ला चुका है।
2026 के विधानसभा चुनावों से पहले एसआईआर का मुद्दा बंगाल की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।
जहां तृणमूल कांग्रेस इसे केंद्र सरकार की “भय की राजनीति” बता रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि ममता जानबूझकर लोगों को भड़का रही हैं।
राज्य में इस मुद्दे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है —
क्या मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे प्रशासनिक कदमों को लेकर जनता में डर फैलाना राजनीति का हिस्सा बन गया है, या वास्तव में किसी गहरी आशंका का संकेत है?